टाल में फिर शुरू होगा गैंगवार ? अनंत सिंह और विवेका पहलवान के बीच जंग की पूरी कहानी.. जानिए

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पटना-नालंदा- मोकामा से सटे टाल क्षेत्र में करीब 30 साल बाद एक बार फिर खूनी संघर्ष शुरू हो सकता है। बाहुबली विधायक अनंत सिंह का गांव लदमा यानि बाढ़ का नदांवा (लदमा) गांव एक बार फिर से खूनी खेल का गवाह बना। गुरुवार की रात बाढ़ में अनंत सिंह के करीबी को गोली मार दी जाती है। जिसके बाद शुक्रवार को अनंत सिंह खुद घायल कन्हैया से मिलने अस्पताल पहुंचे. जिसके बाद ये चर्चा तेज हो गई है कि टाल क्षेत्र में एक बार फिर से गैंगवार तेज हो सकता है ।

अनंत सिंह बनाम विवेका पहलवान की जंग
गैंगवार की इस कहानी को समझने से पहले आपको विवेका पहलवान के बारे में जानना होगा. कहा जाता है कि विवेका पहलवान अनंत सिंह के रिश्ते में ही आते हैं. लेकिन दोनों एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते. विवेका पहलवान और अनंत सिंह के बीच 80 के दशक से खूनी खेल जारी है. वर्चस्व के इस लड़ाई में दोनों ओर से अब 2 दर्जन लोगों की हत्या हो चुकी है. अनंत सिंह और विवेका पहलवान के बीच गैंगवार में अनंत सिंह के दो सहोदर भाई विरंची सिंह और सच्च्दिानंद सिंह उर्फ फाजो सिंह और विवेका पहलवान के सहोदर भाई संजय सिंह की भी हत्या हो चुकी है।

जब खेली गई थी खून की होली
अनंत सिंह और विवेका पहलवान के बीच दुश्मनी तीन दशक से ज्यादा पुरानी है। लेकिन साल 1986 में दोनों की दुश्मनी को सुर्खियों में आई। जब विवेका गुट ने अनंत सिंह के सबसे बड़े भाई विरंची सिंह की हत्या कर दी। इसके बाद दोनों गुटों के बीच जंग तेज हो गई। करीब नौ साल बाद साल 1995 के विधानसभा चुनाव में विवेका पहलवान गुट ने अनंत सिंह के घर पर हमला किया. दोनों ओर अंधाधुन गोलियां चली। गोलीबारी में अनंत सिंह के बहनोई भूषण सिंह और ट्रैक्टर ड्राइवर अकलू समेत अनंत सिंह के चार समर्थक मारे गए। अनंत सिंह की ओर से जवाबी कार्रवाई में विवेका गुट के भी तीन लोग मारे गए थे।

गोलियों से छलनी, फिर भी बच गए छोटे सरकार
साल 1995 के बाद दोनों गुटों में तनाव और बढ़ गया। एक बार फिर नौ साल बाद साल 2004 में विवेका पहलवान के भाई संजय सिंह ने लदमा में ही अनंत सिंह पर एके-47 से हमला किया. जिसमें अनंत सिंह के शरीर में सात गोलियां लगी थीं. लेकिन जाको राखे साइयां मार सके ना कोई वाली कहावत सच साबित हुई । लंबे इलाज के बाद अनंत सिंह बच गए। अनंत सिंह की जब अस्पताल से छुट्टी हुई तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया.

अनंत सिंह के आठ समर्थक मारे गए
3 अगस्त 2004 को अनंत सिंह जेल में थे उसी वक्त एसटीएफ की टीम ने नदांवा (लदमा) में अनंत सिंह के घर को घेर लिया. इस दौरान अनंत सिंह के समर्थकों और पुलिस के बीच जबरदस्त गोलीबारी हुई। इस दौरान अनंत सिंह के आठ समर्थक मारे गए

बाहुबली से विधायक बनने की कहानी
साल 2005 में अनंत सिंह की एंट्री राजनीति में हुई। अनंत सिंह ने मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत गए। अनंत सिंह के विधायक बनने के बाद नदांवा(लदमा) लगभग शांत था. इसी बीच 2006 में पटना के बेऊर थाना के गंगा विहार कॉलोनी में विवेका के समर्थक संजीत पहलवान की उसके घर में ही गोली मार कर हत्या कर दी गई. इस मामले में हत्या का आरोप अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर लगा. शोध-प्रतिशोध के चले इस दौर में 2007 में विवेका पहलवान के पांच भाइयों में चौथे नंबर पर आने वाला संजय सिंह की सरेआम सरकारी दफ्तर में 2007 में हत्या कर दी गई.

2008 में विवेका गुट ने लिया बदला
अपने भाई के हत्या से बौखलाए विवेका पहलवान ने बदला लेना का ठान लिया था. 2008 में अनंत सिंह के दूसरे बड़े भाई सच्चिदानंद सिंह उर्फ फाजो सिंह की हत्या बाढ़ में हत्या कर दी गई। उस वक्त फाजो सिंह बाढ़ में अपने मार्केट में बैठे हुए थे. फाजो सिंह हत्याकांड में विवेका के भाइयों भोला और मुकेश के सात उसके शूटर राजेश उर्फ फौजी को नामजद किया गया था

अनंत सिंह को विवेका पहलवान ने ललकारा
मोकामा से लगातार चार बार विधायक चुने जाने के बाद अनंत सिंह ने मुंगेर से चुनाव लड़ने का दांव ठोक दिया. अनंत के इस फैसले से जेडीयू खेमे में हड़कंप मच गई. नीतीश कुमार के करीबी ललन सिंह और जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार अनंत सिंह पर टूट पड़े. लेकिन इन सब के बीच विवेका पहलवान ने भी अनंत सिंह से फरिया लेने का दम ठोक दिया.

जानकार बताते हैं कि विवेका की अनंत को खुली चुनौती का को यूं ही हल्के में नहीं लिया जा सकता. अनंत और विवेका के मिजाज को जानने वाले लोगों का कहना है कि अनंत के गढ़ में छोटे सरकार के करीबी पर जानलेवा हमला किसी आने वाले बड़े गैंगवार की आहत है।

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