कोरोना संक्रमण की वजह से बिहार सरकार की खूब किरकिरी हो रही है. स्वास्थ्य महकमा चरमराया हुआ है. अपनी सरकार की बदनामी होता देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पुराने फॉर्म में लौट आए हैं. उन्होंने कैबिनेट की बैठक के दौरान सूबे के बड़े अफसरों को जमकर झाड़ पिलाई.
इसे भी पढ़िए-नालंदा में कोरोना का कहर.. 225 नए मरीज, प्रोजेक्ट मैनेजर की मौत
क्या है पूरा मामला
दरअसल कैबिनेट की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर डाली कि उनके विभाग के प्रधान सचिव बात नहीं सुनते। मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि प्रधान सचिव मेरी बात नहीं सुनते हैं। स्वास्थ्य विभाग में सिर्फ अपनी मनमानी करते हैं। इसके बाद क्या था नीतीश कुमार हत्थे से उखड़ गए। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को जमकर फटकार लगाई। मुख्यमंत्री ने कुमावत को साफ तौर पर कह दिया कि राज्य के अंदर आरटीपीसी हर दिन 20 हजार नहीं हुआ तो एक्शन लेंगे। मुख्यमंत्री ने यहां तक कह डाला कि अगर विभाग नहीं संभलता है तो इसे छोड़ दीजिए।
इसे भी पढ़िए-एक्शन में सीएम नीतीश.. लापरवाह 8 डॉक्टरों को किया बर्खास्त
प्रधान सचिव को भी नहीं बख्से
कैबिनेट की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर नाराज थे। मुख्यमंत्री ने पूछा कि जब दिल्ली में हर दिन 38,000 कोरोना जांच हो सकती है तो बिहार में क्यों नहीं? किसी भी हाल में बिहार के अंदर जांच का दायरा बढ़ाया जाए। मुख्यमंत्री इस बात पर नाराज थे कि स्वास्थ्य विभाग की विफलता के कारण उनके 14 साल के कामकाज पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने साफ कह दिया कि अगर हालात नहीं सुधरे तो वह जल्द ही स्वास्थ विभाग के काम की समीक्षा करेंगे और गड़बड़ी करने वालों पर एक्शन लेंगे।
इसे भी पढ़िए-चिराग की चिट्ठी से हड़कंप, NMCH से कैसे लापता हो गया रंजीत ?