नालंदा में जेडीयू जिलाध्यक्ष चुनाव में टूट गई परंपरा, हंगामा भी हुआ.. जानिए क्यों

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नालंदा जिला में जेडीयू जिलाध्यक्ष के चुनाव के दौरान पार्टी की परंपरा टूट गई. जिले के सभी प्रखंडों के अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्वक सम्पन्न कराने वाली जद यू के जिलाध्यक्ष का चुनाव हंगामेदार रहा। बिहारशरीफ के बिहार क्लब में जेडीयू के जिलाध्यक्ष का चुनाव हुआ. जिसमें दो गुटों में टकराव की स्थिति आ गई। जिसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पुलिस ने शांत कराया। अंतत: पहली बार वोटिंग के जरिए जिलाध्यक्ष का चयन कर लिया गया। बनारस प्रसाद सिन्हा दोबारा पार्टी के अध्यक्ष चुन लिए गए।

जिलाध्यक्ष के चुनाव के लिए पहली बार वोटिंग
बताया जा रहा है कि पार्टी के अधिकांश प्रखंड अध्यक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीधे जिला अध्यक्ष पद पर किसी का मनोनयन कराने के पक्ष में थे। लेकिन पर्यवेक्षक राजेश पाल और जिला निर्वाची पदाधिकारी परमानंद उर्फ सुमन पटेल ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिले दिशा-निर्देश पर चुनाव के माध्यम से ही जिलाध्यक्ष का चयन किया जाएगा। इसके बाद भी प्रखंड अध्यक्ष हंगामा करते रहे। इस बीच दो प्रत्याशियों के समर्थक भी आमने-सामने हो गए। हालांकि सांसद कौशलेन्द्र कुमार, इस्लामपुर विधायक चन्द्रसेन और अस्थावां विधायक डॉ जितेन्द्र कुमार के समझाने के बाद लोग शांत हुए और चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गई।

तीन उम्मीदवार थे मैदान में
नालंदा में जेडीयू जिलाध्यक्ष के चुनाव में कुल तीन उम्मीदवार मैदान में खड़े थे। कुल 300 मत का प्रयोग होना था। जिसमें 274 लोगों ने मतदान किया। इनमें 12 वोट रद्द हुए। कई प्रखंड अध्यक्ष और उनके डेलिगेट नहीं आए। इस तरह कुल मिलाकर 262 मतों के आधार पर ही फैसला हुआ। जिसमें मौजूदा जेडीयू जिलाध्यक्ष बनारस प्रसाद सिन्हा को 156 मत, शैलेन्द्र कुमार सिंह को 102 और सुनील कुमार शर्मा को मात्र 4 मत से ही संतोष करना पड़ा। इस प्रकार बनारस प्रसाद सिन्हा को दूसरी बार जद यू का जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया गया। चुनाव पर्यवेक्षक राजेश पाल ने उन्हें सर्टिफिकेट दिया।

टूट गई परंपरा
अब तक जद यू में परम्परा रही है कि जिसके नाम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुहर लगा देते थे, वही सर्वसम्मति से जिलाध्यक्ष मान लिए जाते थे। नीतीश कुमार का आदेश सर्वमान्य होता था, विरोध के स्वर नहीं उठते थे। पहली बार जद यू ने कार्यकर्ताओं की वोटिंग के जरिए सांगठनिक चुनाव कराने का फैसला किया। प्रखंड अध्यक्षों के लिए वोटिग में कहीं से कोई विरोध नहीं हुआ लेकिन जिलाध्यक्ष पद के लिए वोटिग अधिकांश प्रखंड अध्यक्षों को रास नहीं आई। चुनाव पर्यवेक्षक राजेश पाल ने प्रखंड अध्यक्षों व कई कार्यकर्ताओं की मांग को पूरी तरह नकार दिया और चुनाव के माध्यम से ही चयन पर अड़े रहे । इसके बाद करीब आधे घंटे तक एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगता रहा। बाद में सांसद और विधायकों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ और वोटिग की प्रक्रिया शुरू हुई। करीब चार घंटे तक चली इस वोटिग प्रक्रिया के दौरान तरह-तरह की चर्चा होती रही। चुनाव के समय प्रवक्ता संजयकांत सिन्हा, डॉ विपिन कुमार यादव, राजीव रंजन पटेल, रंजीत कुमार, धर्मेन्द्र चौहान, विरेश कुमार, प्रखंड अध्यक्ष रविकांत के अलावा पार्टी के अधिकांश प्रखंड अध्यक्ष और डेलिगेट उपस्थित थे।

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