उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर फटकार लगाई है. एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कहा कि ये अराजकता है. क्या उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक आदेश के तहत कुछ भी कर सकते हैं.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या यूपी में कोई भी मंदिर बना सकता है और पैसे कलेक्ट कर सकता है? मंदिर को लेकर कोई कानून क्यों नहीं है? जबकि मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के नियमन के लिए केंद्र सरकार का भी कानून है साथ ही कई राज्यों में भी कानून है. जब आपके राज्य में कानून नही है तो आपने केंद्र सरकार के कानून को नहीं अपनाया? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कहा कि 6 हफ़्ते में बताए कानून आप बना रहे है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि यह केवल मंदिर का मामला नहीं, बल्कि लोगों से जुड़ा मुद्दा है. हमें मंदिर से नहीं, लोगों से मतलब है.
यूपी में जंगलराज!
दरसअल सुप्रीम कोर्ट बुलंदशहर के सैकड़ों वर्ष पुराने एक मंदिर से जुड़े प्रबंधन के मामले की सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो उत्तर प्रदेश सरकार से तंग आ चुके हैं. ऐसा लगता है यूपी में ‘जंगलराज’ है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि अधिकतर मामलों में यूपी सरकार की ओर से पेश वकीलों के पास संबंधित अथॉरिटी का कोई उचित निर्देश नहीं होता?
क्या है मामला?
मामला बुलंदशहर के करीब 300 वर्ष पुराने श्री सर्वमंगला देवी बेला भवानी मंदिर के प्रबंधन की गड़बड़ियों से जुड़ा है . इस मामले में याचिकाकर्ता विजय प्रताप सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें मंदिर में आया चढ़ावा वहां काम करने वाले पंडों को दे दिया गया था.
दान के दुरुपयोग का मामला
जहां मंदिर प्रशासन पर दान के दुरुपयोग का आरोप लगा है. जब ये आरोप लगे थे तब उत्तर प्रदेश की सरकार ने मंदिर को चलाने के लिए एक बोर्ड बनाया था, लेकिन बात नहीं बन पाई और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट में मंदिर की ओर से उत्तर प्रदेश की सरकार के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि उत्तर प्रदेश की सरकार का ये निर्णय गलत है और मंदिर का बोर्ड बनाने में किसी कानून का पालन नहीं किया गया है.