चोरी से पहले चोर ने चिट्ठी लिखकर बताया अपना दर्द.. हालात ने क्या से क्या बना दिया

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सच कहा जाता है कि वक्त और हालात आदमी को इतना मजबूर कर देता है कि वो कुछ भी करने पर उतारू हो जाता है। लॉकडाउन में एक ऐसा ही वाक्या सामने आया है। जब हालात ने एक शख्स को अपने बेटे के लिए चोरी करने पर मजबूर कर दिया और वो भी साइकिल की चोरी.

क्या है पूरा मामला
मामला राजस्थान के भरतपुर का है। उत्तर प्रदेश के बरेली का रहने वाला मोहम्मद इकबाल अपने परिवार के साथ भरतपुर में रहता है। वो एक प्रवासी मजदूर है. लॉकडाउन की वजह से उसकी रोजी रोटी बंद हो गई. अब वो घर लौटना चाहता है। उसका घर भरतपुर से 250 किलोमीटर दूर है. वो बेटे की वजह से पैदल भी नहीं चल सकता है

बेटे की विकलांगता ने बनाया चोर
प्रवासी मजदूर मोहम्मद इकबाल का बेटा विकलांग है वो पैदल नहीं चल सकता है. ऐसे में इकबाल ने एक साइकिल चोरी की और साइकिल मालिक साहब सिंह के नाम एक खत छोड़ आया

इकबाल की मजबूरी जानिए
मजबूर इकबाल ने खत में लिखा है ‘मैं मजदूर हूं , मजबूर भी। मैं आपका गुनहगार हूं। आपकी साइकिल लेकर जा रहूं। मुझे माफ कर देना। मुझे बरेली तक जाना है। मेरे पास कोई साधन नहीं है और दिव्यांग बच्चा है। जो चल नहीं सकता। उसी के लिए उसे ऐसा करना पड़ रहा है। मैं आपसे माफी मांगता हूं.

बरामदे की सफाई के वक्त मिला खत
दरअसल, कोरोना लॉकडाउन में हर प्रवासी मजदूर किसी भी तरह से अपने घर पहुंचने की कोशिश कर रहा है। तपती गर्मी में सड़कों पर लोगों का हुजूम चला जा रहा है। या तो पैदल या फिर साइकिल से।  ऐसे ही एक प्रवासी मजदूर मोहम्मद इकबाल को राजस्थान के भरतपुर से 250 किमी दूर बरेली जाना था। इसके लिए उसने साइकिल की चोरी की। उसे अपने इस कृत्य पर शर्मिंदगी भी महसूस हो रही थी । लिहाजा उसने साइकिल मालिक साहब सिंह से माफी मांगते हुए एक पत्र लिख छोड़ा।साहब सिंह को ये पत्र बरामदे की सफाई करने के दौरान मिला।

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