बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पिछड़ों के मसीहा कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर को देश के सबसे बड़े सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है । कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) दिया जा रहा है। ये सम्मान उनकी 100वीं जयंती के मौके पर किया जा रहा है । जॉर्ज फर्नांडिस, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के राजनीतिक गुरु भी कर्पूरी ठाकुर को ही माना जाता है ।
पहले गैर कांग्रेसी सीएम
कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। साल 1952 में वे पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता और साल 1967 में कर्पूरी ठाकुर पहली बार डिप्टी CM बने। इस दौरान उन्होंने बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया था।
कौन हैं कर्पूरी ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार मुख्यमंत्री और एक बार डिप्टी सीएम रहे। वे 5 मार्च 1967 से 31 जनवरी 1968 तक बिहार के डिप्टी सीएम रहे । तो वहीं 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तक मुख्यमंत्री रहे । दूसरी बार 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 तक बिहार के सीएम रहे । वे पिछड़ों के हितों के हिमायती थे। वकालत करने के लिए जाने जाते थे। उन्हें बिहार में सामाजिक न्याय का मसीहा कहा जाता है। हालत ये है कि आज भी बिहार की राजनीति कर्पूरी ठाकुर के इर्द-गिर्द ही घूमती है ।
कर्पूरी सरकार के बड़े फैसले
देश में पिछड़े वर्गों को सबसे पहले आरक्षण बिहार में ही दिया गया था और ये फैसला कर्पूरी ठाकुर की सरकार में लागू किया गया था । साथ ही उनकी सरकार ने स्कूली शिक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किया था। इतना ही नहीं कर्पूरी सरकार ने मैट्रिक तक की पढ़ाई भी मुफ्त कर दी थी। बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा भी कर्पूरी सरकार के दौरान ही दी गई थी । उन्होंने ना केवल पिछड़ी जातियो के लिए आरक्षण की व्यवस्ता की थी। बल्कि सवर्णों के लिए भी 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था
कर्पूरी की 100वीं जयंती
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया गांव में हुआ। 24 जनवरी को उनकी 100वीं जयंती है। उनका निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ था। पितौंझिया गांव को अब कर्पूरी ग्राम के नाम से जाना जाता है । कर्पूरी ठाकुर ने सांसदों और विधायकों की जाने वाली पेंशन का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि पेंशन की जरुरत सांसदों और विधायकों से ज्यादा देश की गरीब जनता को है ।
पीएम मोदी ने की तारीफ
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताई । उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा कि मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है, वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्म शताब्दी मना रहे हैं। यह प्रतिष्ठित सम्मान हाशिये पर खड़े लोगों के लिए समानता और सशक्तिकरण के समर्थक के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है। दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है। यह पुरस्कार ना केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि हमें एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है।
मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी… pic.twitter.com/hRkhAjfNH3
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024