नालंदा जिला में रेलवे ट्रैक पर पड़ी सिरकटी लाश ने घंटों ट्रेन को खड़ा । यात्री परेशान होते रहे औऱ पुलिस आपस में झगड़ती रही। कोई कहता कि ये हमारे अधिकार जोन में नहीं है तो कोई कुछ और । पुलिस वालों के अधिकार क्षेत्र की लड़ाई की वजह से वो सिरकटी लाश 18 घंटे तक रेलवे ट्रैक पर यू हीं पड़ी रही। दूसरी ओर ट्रेन के स्टेशन पर खड़ी रहने की वजह से यात्रीगण परेशान होते रहे । मामला नालंदा जिला के नूरसराय हॉल्ट की है। जहां रेलवे ट्रैक पर एक सिरकटी लाश पड़ी। लोगों ने जैसे ही लाश को देखा । वैसे ही इसकी खबर नूरसराय पुलिस को दी गई। कुछ देर बाद नूरसराय पुलिस आई। लेकिन उसका कहना था कि ये हमारे अधिकारक्षेत्र में नहीं ये रेल थाना का इलाका है । इसलिए हम इसपर कार्रवाई नहीं करेंगे ।
खड़ी रही ट्रेन, लड़ती रही पुलिस
दूसरी ओर बिहारशरीफ से दनियावां की ओर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन बिहारशरीफ स्टेशन पर खड़ी रही।यात्रिगण ट्रेन के इंतजार में तपती धूप में स्टेशन पर खड़े रहे। यानि रेलवे ट्रैक पर सिरकटी लाश की वजह से ट्रेन सेवा करीब तीन घंटे तक बाधित रही लेकिन पुलिस आपस में लड़ती रही। इसे लेकर यात्रियों और नूरसराय पुलिस के बीच तू-तू मैं-मैं भी हुआ। यात्रियों का गुस्सा और ट्रेन की लेट लतीफी देख नूरसराय पुलिस ने लाश को उठाया तो नहीं बल्कि बीच रेलवे ट्रैक से उठाकर किनारे पर रख दिया । जिसके बाद ट्रेन तो खुल गई । लेकिन, लाश वहीं पड़ी रही।
बाइक से आई रेल पुलिस,नूरसराय पुलिस को सबक सिखा गई
रेलवे ट्रैक पर लाश होने की सूचना नूरसराय पुलिस ने रेल पुलिस को दी। जिसके बाद करीब 11 बजे फतुहां से रेल पुलिस के दो जवान बाइक से नूरसराय पहुंचे । घटना स्थल पर पहुंचने के बाद रेल पुलिस ने कहा कि रेलवे ट्रैक से लाश हटाने की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की है। इसलिए वो यहां से लाश को नहीं उठा सकते हैं और एक घंटे बाद यानि 12 बजे रेल पुलिस भी लौट गई । भीषण गर्मी में लाश ट्रैक के किनारे पड़ी रही। मीडियाकर्मियों ने जब ये सवाल नूरसराय थानेदार से पूछी तो उन्होंने भी अधिकार क्षेत्र का रोना रोया। हालांकि दोपहर 1 बजे लाश को वहां हटाया गया और पोस्टमार्टम के लिए बिहारशरीफ सदर अस्पताल भेज दिया गया ।
किसकी है लाश
नूरसराय में सिरकटी लाश की अब तक पहचान नहीं हो पायी है । स्थानीय लोगों का कहना है कि शाम 7 बजे वाली दनियावां- बिहारशरीफ पैसेंजर से ये हादसा हुआ होगा । शाम 7 बजे हादसा हुआ और अगले दिन दोपहर 1 बजे रेलवे ट्रैक से लाश को हटाया गया। ऐसे सवाल उठता है कि हमारी पुलिस वाकई इतनी असंवेदनशील हो गई? क्या पुलिस में मानवता नाम की कोई चीज बची ही नहीं है ?