नालंदा जिला में एक तो अपराध की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। ऊपर से पुलिस का रवैया भी दोस्ताना नहीं रहा है। थाना पुलिस अपने अधिकारियों के आदेश की लगातार अवहेलना कर रही है । पीपुल फ्रेंडली होने का दावा करने वाली नालंदा पुलिस की पोल उस वक्त खुल गई जब लूट का शिकार बने एक व्यापारी सीमा विवाद में एक थाने से दूसरे थाने के चक्कर लगाते रहे । पहले थाने ने कहा कि ये उनका क्षेत्र नहीं है। तो दूसरे थाने कहा कि ये हमारा इलाका नहीं है ।
क्या है पूरा मामला
चंडी थाना के उतरा गांव के रहने वाले व्यवसायी सीताराम साव के साथ लूट की वारदात हुई थी। बदमाशों ने चैनपुरा पावर ग्रिड के पास पिस्तौल की नोक पर दो लाख नौ हजार रुपए नगद और एक मोबाइल छीन लिए। वो बाढ़ से मसूर बेचकर लौट रहा था।
सीमा विवाद में उलझी रही पुलिस
लूट की वारदात के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लिए पीड़ित सीताराम साव को नाकों चने चबाना पड़ा। पहले तो ये कहा गया कि ये मामला हरनौत थाने का है। वहां शिकायत दर्ज कराएं। उसके बाद पीड़ित सीताराम साव अपनी शिकायत लेकर हरनौत थाना पहुंचा, लेकिन वहां उसे बाताया गया कि घटनास्थल वेना का है। इसलिए वेना थाना जाएं। वेना जाने पर कहा गया कि ये इलाका चंडी थाना क्षेत्र का है। हार थक कर सीताराम साव वरीय अधिकारियों के पास गया। तब जाकर चंडी थाना में दर्ज कराया गया। ऐसे में पीपुल फ्रेंडली का दावा करने वाली नालंदा पुलिस कितनी फ्रेंडली है इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं।
डीजीपी ने दिए थे आदेश
कुछ दिन पहले ही पटना रेंज के डीआईजी राजेश कुमार ने आदेश दिया था कि अब कोई भी किसी थाने में मुकदमा दर्ज करा सकता है। उन्होंने कहा था कि हर पुलिस स्टेशन का एक ज्युरिडिक्शन होता है। लेकिन यदि किसी कारणवश अपने ज्युरिडिक्शन वाले थाने में नहीं पहुंच पाता है तो जीरो एफआईआर के तहत सबसे नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवा सकता है। लेकिन अब नालंदा पुलिस अपने ही डीआईजी के आदेश की धज्जी उड़ा रही है।