नालंदा जिला में हाईस्कूल के शिक्षकों से लेकर कॉलेजों के प्रोफेसर पर बड़ी कार्रवाई हुई है। 147 शिक्षकों और प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। बताया जा रहा है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के निर्देश पर ये केस दर्ज कराया गया है।
क्या है पूरा मामला
नालंदा जिला में इंटरमीडिएट की कॉपी चेकिंग के लिए पांच सेंटर बनाए गए हैं । जहां कॉपियों का मूल्याकंन जारी है। लेकिन शिक्षा विभाग के निर्देश के बावजूद 147 शिक्षकों और प्रोफेसरों ने अपना योगदान नहीं दिया है। जिसके बाद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इन प्रोफेसरों और शिक्षकों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। बिहार बोर्ड के आदेश पर नालंदा जिला में 147 शिक्षकों और प्रोफेसरों के खिलाफ सोहसराय,लहेरी थाना और बिहार थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है ।
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सरकारी काम में लापरवाही बरतने का आरोप
नालंदा के जिला शिक्षा पदाधिकारी मनोज कुमार का कहना हैकि इनमें ज्यादातर प्रोफेसर ही हैं। डीईओ ने कहा कि सरकारी कार्य में लापरवाही बरतने, आदेश का अनुपालन न करने और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के कारण बोर्ड अध्यक्ष के निर्देश पर ये कार्रवाई की गई है। सभी शिक्षकों को चार दिन पहले ही योगदान करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद147 शिक्षक और प्रोफेसरों ने योगदान नहीं किया। उन्होंने कहा कि समय से मूल्यांकन कार्य पूरा नहीं होने पर रिजल्ट में देरी होगी। जिससे विद्यार्थियों के सामने आगे की कक्षा में दाखिले से वंचित होने का खतरा खड़ा हो जाएगा। यह सरासर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि हर हाल में समय पर छात्रों का मूल्यांकन कार्य समाप्त कर इसकी रिपोर्ट बोर्ड को देनी है।
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कॉपी चेकिंग में अपना तौहीन समझते हैं प्रोफेसर
बताया जा रहा है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद प्रोफेसर कुलपति और कुलाधिपति के शरण में जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि कॉलेजों के प्रोफेसर और लेक्चरर इंटर की कॉपियां जांचने में अपनी तौहीन समझते हैं। सच्चाई ये है कि प्रोफेसर और लेक्चर को सैलरी में लाखों रुपए मिलते हैं जबकि कॉपी चेकिंग में पर कॉपी महज कुछ रुपए मिलते हैं। ऐसे में प्रोफेसर को लगता है कॉपी चेक करने से उनका कद छोटा हो जाएगा । लेकिन सवाल ये है कि प्रोफेसर को अपना दायित्व भी समझना चाहिए।