क्लर्क का बेटा बना कलेक्टर… IAS बने नालंदा के सौरभ सुमन यादव की सफलता की कहानी

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कहा जाता है कि संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता है। ये साबित कर दिखाया है नालंदा के लाल सौरभ सुमन यादव (Saurabh Suman Yadav) ने। लाख विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सौरभ ने जो बचपन में ठाना उसे पूरा कर दिखाया। सौरभ सुमन यादव ने यूपीएससी(UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में 55वां स्थान लाकर जिले का नाम रौशन किया है। सौरभ सुमन ने ज्ञान की धरती नालंदा का कर्ज उतारा है ।

गांव में बीता बचपन
देश के सबसे कठिनतम परीक्षा पास करने वाले सौरभ सुमन यादव का बचपन गांव में ही बीता। उनका जन्म नालंदा जिला के सरमेरा थाने के एक छोटे से गांव नरसिंहपुर में हुआ। नालंदा लाइव (Nalanda Live) से खास बातचीत में सौरभ ने बताया कि पांचवीं तक की पढ़ाई गांव में ही हुई। बचपन गरीबी और अभाव में ही बीता। पिता कमल किशोर यादव भारतीय खाद्य निगम में एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी थे और उनकी पोस्टिंग पश्चिम बंगाल के कल्याणी में था। ऐसे में वो अपने बेटे को पांचवीं के बाद पढ़ाई के लिए अपने साथ कल्याणी लेते गए

पश्चिम बंगाल से की आगे की पढ़ाई
नालंदा लाइव (Nalanda Live)से खास बातचीत में सौरभ सुमन यादव (Saurabh Suman Yadav)ने बताया कि जब वो करीब 12 साल के थे तो वो नरसिंह पुर से अपने पापा कमल किशोर यादव के साथ पश्चिम बंगाल के कल्याणी आ गए। पैसे की तंगी के बावजूद पापा कमल किशोर यादव की इच्छा थी कि बेटा अच्छे स्कूल में पढ़े। इसलिए उन्होंने सौरभ सुमन का एडमिशन कल्याणी के ही जुलियन डे स्कूल में कराया। ये स्कूल बहुत महंगा नहीं था। गरीबी में पले बढ़े सौरभ ने मन में ही ठान लिया था कि उसे कुछ करना है । सौरभ ने 10वीं में करीब 93 फीसदी अंक हासिल किए और 12वीं 90 फीसदी अंक हासिल किए।

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बीटेक और एमबीए की पढ़ाई की
सौरभ सुमन के मन में बचपन से ही IAS बनने का सपना ही था। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वो रिस्क लेने से पहले उन्होंने फ्यूचर प्लानिंग की। सौरभ सुमन ने 12वीं के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई की ।उन्होंने कोलकाता के हेरिटेज स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल एंड कम्युनिकेशन से साल 2010 में बीटेक किया। इसके बाद कैट एग्जाम क्वालिफाई किया और देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक आईआईएम लखनऊ से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। साल 2012 में एमबीए करने के बाद सौरभ अपने मिशन आईएएस में लग गए।

साढ़े तीन सालों तक की प्राइवेट नौकरी
सौरभ ने देश के प्रतिष्ठित कॉलेज से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद आईएएस की तैयारी में जुट गए। लेकिन उनके सामने पैसे की जरूरत थी। ऐसे में उन्होंने एयरटेल में सीनियर मैनेजर की नौकरी ज्वॉइन कर ली। इस दौरान उनकी पोस्टिंग इंदौर,बेंगलुरु और गुड़गांव में हुई। लेकिन उन्होंने अपने सपने को मरने नहीं दिया। वो लगातार IAS की तैयारी में जुटे रहे।

साल 2014 में पहली बार हुआ चयन
सौरभ सुमन यादव को पहली बार साल 2014 में UPSC में सफलता मिली थी लेकिन उनका रैंक अच्छा नहीं था। उन्होंने 1068वीं रैंक हासिल की थी और इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस मिला। जो उन्होंने ज्वाइन कर लिया । अभी वे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। और दिल्ली के रेडियो कॉलोनी में अपने परिवार के साथ रहते हैं ।

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सपना अभी अधूरा था
सौरभ सुमन यादव का चयन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में हो गया था । लेकिन उनका सपना अभी अधूरा था। सौरभ ने अपने सपने को कभी मरने नहीं दिया। वो लगातार अपने मिशन में लगे रहे और आखिरकार चार साल बाद उनका सपना सच हो गया। साल 2018 में यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल परीक्षा में उन्होंने 55वां स्थान हासिल किया । ये उनका पांचवां प्रयास था और अब वो IAS बन गए हैं । वो सपना जो बचपन में देखा था पूरा हो गया ।

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परिवार में और कौन कौन
सौरभ सुमन यादव के पिता जहां भारतीय खाद्य निगम में साधारण कर्मचारी हैं। वहीं माता गृहणी हैं। छोटा भाई गौरव है और एक बड़ी बहन है जिनका नाम सीमा देवी है। साल 2016 में उनकी शादी डॉ ननिता कुमारी से हुई थी. वो नालंदा जिला के अस्थावां प्रखंड के डेढ़धाडा गांव की रहने वाली हैं और बेंगलुरु से एमबीबीएस की पढ़ाई की हैं । सौरभ और ननिता की एक छोटी सी बीटिया भी है। सौरभ बातों बातों में बिटिया को लकी बताना नहीं भूलते हैं ।

समाज सेवा है उनका लक्ष्य
सौरभ को पढ़ाई के अलावा खेल में भी काफी रुचि है। उन्हें फुटबॉल और बैडमिंटन खेलना बहुत पसंद है । नालंदा लाइव( Nalanda Live) से बातचीत में सौरभ सुमन यादव ने कहा उनका लक्ष्य समाज सेवा करने का है. वो देश और समाज का विकास करना चाहते हैं। नालंदा लाइव भी उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है। साथ ही जिला और प्रदेश वासियों की तरफ से उन्हें बहुत बहुत बधाई देता है।

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