नालंदा जिला में स्वास्थ्य महकमें पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा हो गया. अस्पताल में डॉक्टर के इंतजार में गर्भवती महिला की मौत हो गई. यानि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से एक नहीं दो लोगों की जान गई. एक महिला की और दूसरा उस अजन्मे बच्चे की. जिसने दुनिया में अभी कदम भी नहीं रखा था
क्या है पूरा मामला
26 साल की सुनीता देवी गर्भ से थीं. उन्हें सुबह सुबह कुछ दिक्कत महसूस हुई. जिसके बाद परिजन सुनीता देवी को लेकर नूरसराय प्राथमिक केंद्र पहुंचे. जहां पहले तो नर्स ने भर्ती कर लिया. जब सुनीता की हालत बिगड़ने लगी तो नर्स ने कहा कि आज रविवार है और डॉक्टर साहब छु्ट्टी पर हैं. आप इन्हें इलाज के लिए कहीं और ले जाइए.
पति की गोद में तोड़ा दम
सुनीता देवी की बिगड़ती हालत को देखते हुए उसके पति ने ऑटो बुलाया और उसे बिहारशरीफ ले जाने लगे. अस्पताल से महज 100 मीटर दूर निकले ही थे कि सुनीता ने अपने पति की गोद में दम तोड़ दिया. जिसके बाद उसका पति बदहवासी में पत्नी का शव लेकर अस्पताल लौटा और चिकित्सक और नर्स पर लापरवाही का आरोप लगाकर फफक फफक कर रोने लगा।
परिजनों ने किया हंगामा
सुनीता देवी नूरसराय के चरुईपर बेलदारी गांव के रहने वाले छोटन जमादार की पत्नी थी. सुनीता देवी के मौत की खबर जैसे ही गांव वालों को मिली . वे नूरसराय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और हंगामा करने लगे. वे लोग दोषियों पर तत्काल कार्रवाई और मुआवजे की मांग करने लगे।
पुलिस प्रशासन ने शांत कराया
वारदात की सूचना मिलते ही नूरसराय इंस्पेक्टर और थानाध्यक्ष कुछ पंचायत प्रतिनिधियों के साथ अस्पताल पहुंचे। मृतका के नाराज परिजनों को समझा-बुझाकर शांत किया।
लेकिन सवाल ये उठता है कि अस्पताल को इमरेंसी सर्विस में गिनती होती है. ऐसे में रविवार के दिन डॉक्टर की व्यवस्था क्यों नहीं की गई थी? अस्पताल में एंबुलेंस की सुविधा क्यों नहीं थी? हो सकता है कि अगर हाईटेक एंबुलेंस से सुनीता देवी को बिहारशरीफ भेजा जाता तो उनकी जान बच सकती थी।