लोकसभा चुनाव के बीच जेडीयू को झटका लगा है. जदयू विधायक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना इस्तीफा भेजा है. दरभंगा जिले के हयाघाट विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक अमरनाथ गामी ने बिहार विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी अनदेखी किए जाने से नाराज हैं.
अमरनाथ गामी ने इस्तीफा दिया
हयाघाट से लगातार दो बार विधायक बने अमरनाथ गामी ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेज दिया है. अमरनाथ गामी 2010 के विधानसभा चुनाव भाजपा की टिकट पर जीते थे. वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में वे जदयू की टिकट पर चुनाव लड़े और विधायक बने. दोनों ही बार उन्होंने लोजपा के उम्मीदवार को मात दिया था.
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विधायकी छोड़ी है पार्टी नहीं
हयाघाट से जदयू विधायक अमरनाथ गामी ने कहा कि उन्होंने अपना त्याग पत्र पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को भेज दिया है. हालांकि, अमरनाथ ने जोर देकर कहा कि वो पार्टी नहीं छोड़ेंगे और जदयू में कार्य करते रहेंगे क्योंकि उन्हें अपने नेता नीतीश कुमार पर पूरा भरोसा है जो केंद्र की राजग सरकार की मदद से बिहार के विकास के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.
मतदान तक चुप रहा
अमरनाथ गामी ने कहा कि चूंकि मैं गठबंधन में खलल नहीं डालना चाहता था और, मैं चाहता था कि नरेंद्र मोदी जी देश और बिहार के विकास के लिए सरकार में लौटें, इसलिए मैं समस्तीपुर और दरभंगा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में 29 अप्रैल तक मतदान हो जाने तक खामोश रहने का निर्णय लिया था. हयाघाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र दरभंगा जिले में है, लेकिन यह समस्तीपुर निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, जहां से लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान राजग के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.
सेवा न लिए जाने से हैं नाराज
हयाघाट से जदयू विघायक अमरनाथ गामी ने कहा कि उनकी सेवाओं का न तो समस्तीपुर में और न ही दरभंगा में उपयोग किया गया, इस तथ्य के बावजूद कि हयाघाट और दरभंगा दोनों शहरों में उनकी बेहतर पकड़ है. उन्होंने कहा कि मैंने अपने नेता नीतीश जी को चुनाव प्रचार के दौरान खुद को दरकिनार किए जाने की जानकारी दी थी, लेकिन गठबंधन के धर्म का पालन करने के लिए उन्होंने चुप रहना ही उचित समझा क्योंकि दोनों सीटें (समस्तीपुर और दरभंगा) राजग के घटक दलों की थीं और जदयू की नहीं थीं.