नगरनौसा थाना पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए जदयू नेता की मौत गुरुवार को हो गई थी। मौत के बाद पुलिस की ओर से दावा किया गया था कि अधेड़ ने थाने के शौचालय में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली। इस मामले में प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में स्पष्ट है कि लटकने से मौत नहीं हुई है। जो पुलिस की खुदकुशी थ्योरी को गलत साबित कर रही है। इसके अलावा शरीर के कई स्थानों पर जख्मों के भी निशान मिले हैं। जिससे पीड़ित परिवार के थर्ड डिग्री से हत्या के आरोपों को बल मिल रहा है। तीन डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया था, जिसका बिसरा जांच के लिए पटना भेजा गया है। रिपोर्ट में मौत का कारण दम घुटने की आशंका व्यक्त की गई है। पूरक रिपोर्ट बिसरा जांच के बाद आएगा। तब मौत के सही कारणों का पता चल सकेगा।
हिरासत में मौत के बाद सड़क जाम कर हुआ था बबाल
हिरासत में मौत की अगली सुबह परिजन व नागरिकों ने नगरनौसा थाने का घेराव कर हंगामा किया था। जिसके बाद मृतक के पुत्र ने थानेदार, जमादार समेत कुल 9 लोगों को आरोपित कर एससीएसटी थाने में दर्ज कराई थी। सभी पर हत्या और एससीएसटी की धारा लगी। इसके बाद थानाध्यक्ष, जमादार और एक चौकीदार को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस की मुश्किल बढ़ा दी है। कई और अधिकारी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।
एक नजर घटना पर
बीते 11 जून को एक किशोरी का अपहरण हो गया था। जिसकी एफआईआर परिजन ने एक युवक को आरोपित कर दर्ज कराई थी। बुधवार की शाम पुलिस सैदपुर गांव निवासी देवनंदन रविदास के पुत्र जदयू के महादलित प्रकोष्ठ के प्रखंड अध्यक्ष गणेश रविदास को पूछताछ के लिए थाने लाई। जहां गुरुवार की रात उनकी मौत हो गई। घटना के बाद नालंदा पुलिस ने चुप्पी साथ ली। घंटों बाद बताया गया कि अधेड़ ने शौचालय में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली। परिजन व ग्रामीण खुदकुशी के दावे पर सवाल उठाते हुए थर्ड डिग्री से पुलिस पर हत्या का आरोप लगाने लगें। घटना के अगले दिन उग्र लोगों ने थाने का घेराव कर पुलिस कर्मियों पर रोड़ेबाजी करते हुए सड़क जाम कर आगजनी की। जिसके बाद आईजी, डीआईजी नगरनौसा पहंुचे। वरीय अधिकारियों की मौजूदगी में मृतक के पुत्र बलराम दास ने एससीएसटी थाने में मामला दर्ज कराया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस के कथनी नहीं खा रहे मेल
सूत्रों की मानें तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट है कि लटकने से मौत नहीं हुई है। शरीर के कई स्थानों पर इंज्यूरी भी है। जिससे पिटाई से हत्या के आरोपों को बल मिल रहा है।
दर्ज एफआईआर में मृतक के पुत्र ने आरोप लगाया है कि अपहरण मामले में पुलिस 10 जुलाई की शाम उनके पिता को पूछताछ के लिए थाने ले गई। अगली सुबह परिवार के लोग थाना गए तो मिलने नहीं दिया गया। बताया कि पुलिस उनके पिता को लेकर अपहृता की बरामदगी के लिए गई है। इसके बाद गुरुवार की रात चौकीदार ने आकर बताया कि उनके पिता की मौत हो गई है। परिवार के लोग थाना पहुंचे तो बताया की लाश को सदर अस्पताल ले जाया गया। तब परिजन अस्पताल पहुंचे। जहां फर्श पर लाश रखी थी। शरीर पर जगह-जगह चोट के निशान थे। सिर- केहूनी और एड़ी से खून बह रहा था। नाभी काला था और पेट फूला था। थाने में पिटाई से उनके पिता की मौत हुई है। पांच ग्रामीणों के कहने पर पुलिस ने उनके की पिटाई की।
ये बने हैं आरोपी
थानाध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह, जमादार बलिन्द्र राय, चौकीदार जितेंद्र कुमार, संजय पासवान, ग्रामीण नरेश साव उनके पुत्र पवन साव, देवीनंदन कुमार, कमल कुमार और दयानंद साव।
लटकर मौत नहीं तो तस्वीर कहां से आई
जदयू नेता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट कई सवाल पैदा कर रही है। सूत्रों की मानें तो डॉक्टरों की टीम ने रिपोर्ट में लिखा है कि फांसी से मौत के साक्ष्य नहीं मिले हैं। मृतक के परिजन ने बताया कि अगर लटक कर मौत नहीं हुई तो शव की खिड़की में लटकी तस्वीर कैसे वायरल हुई। जाहिर है साक्ष्यों को छिपाने का प्रयास हुआ।
परिजन ने कहा- दोषियों को मिले कड़ी सजा
मृतक के पुत्र बालवीर कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट की चर्चा उनके कानों तक भी आई है। उनके पिता खुदकुशी नहीं कर सकते, पिटाई कर उनकी हत्या की गई है। पिता को दो बेटियों को शादी करनी थी। एक बहन की शादी नवंबर माह में था। दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
कार्रवाई की जद में आ सकते हैं कई पदाधिकारी
एसपी निलेश कुमार ने बताया कि प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतक के शरीर में कुछ इंज्यूरी के निशान थे। बिसरा जांच रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारणों का खुलासा होगा। पुलिस घटना की जांच में जुटी है। कार्रवाई की जद में अन्य भी आ सकते हैं। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।