बिहारशरीफ का मशहूर लगोट मेला धूमधाम से शुरू हो गया . बाबा मणिराम अखाड़ा पर ये मेला सात दिनों तक चलेगा. साथ ही बाबा मणिराम के जयघोष से पूरा शहर गूंज उठा
बिहार थाना से निकला जुलूस
परंपरा के मुताबिक सबसे पहले बिहार थाना से गाजे-बाजे के साथ लंगोट जुलूस निकाला गया। जिसमें बड़ी संख्या में पुलिस के जवान और अधिकारियों ने हिस्सा लिया. लंगोट जुलूस में पुलिस की गाड़ियों के अलावा घोड़े और ऊंट भी शामिल हुए. बिहार थाना के थानाध्यक्ष दीपक कुमार खुद घोड़े पर सवार होकर बाबा के दरबार पहुंचे. तो वहीं, पुलिसवाले भक्ति गीतों पर झूमते नजर आए .
डीएम-एसपी ने भी चढ़ाया जुलूस
लंगोट जुलूस में नालंदा के डीएम योगेन्द्र सिंह, एसपी नीलेश कुमार, एसडीओ जनार्दन प्रसाद अग्रवाल, नगर आयुक्त सौरव जोरवाल और डीएसपी इमरान परवेज समेत तमाम आलाधिकारी शामिल हुए. सभी पैदल बाबा के दरबार में पहुंचे. जहां पुजारी ने पहले पूजा करवाया और फिर बाद में बाबा मणिराम को लंगोट अर्पित किया गया. इसके साथ ही देशभर में मशहूर लंगोट मेला का शुभारंभ हो गया. इस मौके पर डीएम योगेंद्र सिंह और एसपी निलेश कुमार ने जिले में शांति और तरक्की की कामना की । इस मौके पर अखाड़ा न्यास समिति के अध्यक्ष अमरकांत भारती, , बिहार थाना प्रभारी दीपक कुमार भी मौजूद थे.
साल 1952 में शुरू हुआ था लंगोट मेला
आपको बता दें कि 6 जुलाई 1952 में बाबा के समाधि स्थल पर लंगोट मेले की शुरुआत हुई थी। इसके पहले रामनवमी के मौके पर श्रद्धालु बाबा की समाधि पर पूजा-अर्चना करने आते थे। मान्यता के मुताबिक बाबा मणिराम साल 1238 ई. में अयोध्या से चलकर बिहारशरीफ आए थे . जहां ज्ञान की प्राप्ति और क्षेत्र की शांति के लिए जंगल में रहकर मां भगवती की पूजा-अर्चना करने लगे। साथ लोगों को कुश्ती भी सिखाते थे।
बाबा मणिराम ने ली थी समाधि
कहा जाता है कि बाबा मणिराम ने यहीं जीवित समाधि ले ली थी। बाबा की समाधि के बगल में उनके चार शिष्यों की भी समाधि हैं। जिसमें अयोध्या के रहने वाले राजा प्रहलाद सिंह और वीरभद्र सिंह तथा बिहारशरीफ के कल्लड़ मोदी और गूही खलिफा की समाधि है। वैसे तो सालों भर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन लंगोट मेला का खास महत्व है. कहा जाता है कि इस दौरान पूजा करने वाला कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है । नालंदा लाइव भी अपने दर्शकों की सुख शांति की कामना करता है.