लॉकडाउन में किसान ‘बर्बाद’.. मुफ्त में सब्जी बांटने को मजबूर हैं किसान

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कोरोना वायरस ने किसानों की कमर तोड़ दी है। हालात ये है कि किसान अब मुफ्त में सब्जियां बांट रहे हैं. हालात ये है उसके बावजूद जो बच जा रहे हैं वो जानवरों को दे दे रहे हैं ।

किसानों ने मुफ्त में बांटी सब्जी
बिहारशरीफ के मोगलकुआं डाकबंगला चौराहे पर कुछ किसानों ने ‘मुफ्त में सब्जी ले लो’ की हांक लगा रहा थे. पहले तो राहगीरों को भरोसा नहीं हुआ. फिर लोग टोकरियों में हरी सब्जियों लेकर बैठे किसान के पास पहुंचे तो वे बिना पैसे लिए सब्जियां बांट रहे थे। राहगीरों ने सब्जी से अपने-अपने झोले भर लिए और मुस्कुराते हुए घरों की ओर चल दिए। अंत में जब फ्री की सब्जी बांटने के बावजूद भी नेनुआ बच गया तो उसे गाय को खिला दिया।

भाड़ा तक नहीं कर पा रहे वसूल
आशानगर में सब्जी की खेती करने वाले किसान मिश्री कुमार ने बताया कि उन्होंने नेनुआ, हरी व लाल साग, कद्दू, भिंडी व करेला उपजाया था। थोक मंडी में इतना भी भाव नहीं मिल रहा, जिसमें सब्जी ढोने वाले टेंपो का भाड़ा और पैकिंग का खर्च निकल सके। इस कारण जरूरतमंदों के बीच मुफ्त में बांटने का निर्णय कर लिया।

लॉकडाउन ने बर्बाद कर दिया
उनका कहना था कि लॉकडाउन में दूसरे जिलों में हरी सब्जी की सप्लाई ठप हो गई है, होटल भी बंद हैं। इस कारण भाव में बड़ी गिरावट आ गई है। किसानों का कहना है कि अब अगली बार सब्जी की खेती के लिए जमा पूंजी निकालनी पड़ेगी, महाजन से कर्ज लेने की भी नौबत आ सकती है।

एक दो रुपये क्या लें…मुफ्त में बांटना ही ठीक
एक अन्य किसान कहते हैं, कद्दू एक रुपये पीस, नेनुआ 2 दो रुपये, लाल साग के खरीददार तक नहीं। ऐसे में मुफ्त बांटना ही अच्छा लगा। इससे लॉकडाउन के कारण निराश कुछ लोगों के चेहरों पर मुस्कान तो आई। करीब आधे घण्टे तक मुफ्त में सब्जी बांटने के बावजूद कुछ नेनुआ बच गया तो किसान ने आवारा घूम रही गाय को खिला दिया। इधर, मुफ्त में सब्जी लेकर घर जा रहे ग्राहकों ने कहा कि मास्क, साबुन व सैनिटाइजर बांटते तो लोगों को देखा था, पहली बार बाजार में सब्जी भी मुफ्त मिली है। किसानों की स्थिति सचमुच खराब है।

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