किसानों को मिलेंगे 15-15 लाख रुपए, जानिए क्या है PM Kisan FPO Yojana

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किसानों की हालत सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने PM Kisan FPO Yojana 2020 की शुरुआत की है। इस स्कीम में किसानों को 15-15 लाख रुपए दिए जाएंगे। इस योजना का मकसद ये है कि खेती से भी वैसा ही मुनाफा हासिल किया जा सके, जैसा किसी उद्योग में मिलता है।

क्या है यह पीएम किसान एफपीओ योजना
PM Kisan FPO Yojna के तहत किसान अपने संगठन बना कर योजना का लाभ ले सकेंगे। FPO का मतलब है फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन यानी किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organisation)। यह संगठन कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होगा और सरकार किसानों के इन संगठनों को 15-15 लाख रुपए की सहायता देगी।

कंपनी की तरह फायदे मिलेंगे
पीएम किसान एफपीओ योजना के तहत किसानों के संगठन यानी FPO को किसी कंपनी की तरह सारे फायदे मिलेंगे। इससे किसानों की प्रोडक्टिविटी काफी बढ़ जाएगी। लेकिन फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (FPO) पर कॉपरेटिव एक्ट लागू नहीं होगा।

इस योजना पर कितना खर्च करेगी सरकार
केंद्र सरकार शुरुआत में इस योजना पर 4,496 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। इस राशि से किसानों के उत्पादक संगठन को, जो कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होगा, नकद सहायता दी जाएगी।

10 हजार FPO बनेंगे
इस योजना के तहत केंद्र सरकार की मंजूरी मिल जाने के बाद 10 हजार किसान उत्पादक संगठन (FPO-Farmer Producer Organisation) बनेंगे। इन्हें वही सारे फायदे मिलेंगे जो किसी कंपनी को मिलते हैं, क्योंकि इनका रजिस्ट्रेशन कंपनी एक्ट के तहत ही होगा।

किसानों को क्या होगा फायदा
PM Kisan FPO Yojana में छोटे और सीमांत किसानों का समूह बनाया जाएगा। इस समूह से जुड़े किसानों को उनकी उपज के लिए बाजार मुहैया करवाया जाएगा। यही नहीं, एक संगठन से जुड़े होने के कारण उनके लिए खाद, बीज, दवाइयां और कृषि उपकरण भी खरीदना आसान होगा।

बिचौलियों से मिलेगी मुक्ति
PM Kisan FPO Yojana से जुड़े किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए बिचौलियों का सहारा नहीं लेना होगा। वे अपने संगठन के जरिए ही बाजार में अपने उत्पाद बेच सकेंगे। इससे उन्हें बिचौलियों के मकड़जाल में छुटकारा मिल जाएगा। एफपीओ से जुड़ कर किसान अपने उत्पादों की अच्छी कीमत पा सकते हैं।

कितने किसान बना सकते हैं FPO
PM Kisan FPO Yojna के तहत कम से कम 11 किसान मिल कर अपना ऑर्गनाइजेशन बना सकते हैं। इसे एग्रीकल्चरल कंपनी कहा जा सकता है। केंद्र सरकार FPO का कामकाज देख कर 3 साल में 15 लाख रुपए देगी।

कैसे मिलेगी सहायता
किसान जो FPO या एग्रीकल्चर कंपनी बनाएंगे, उससे कम से कम 300 किसान जुड़े होने चाहिए। यह संख्या मैदानी क्षेत्र के लिए है। पहाड़ी क्षेत्र में इनकी संख्या 100 हो सकती है। नाबार्ड कन्सल्टेंसी सर्विसेस ऑर्गनाइजेशन यानी FPO का काम देख कर उसकी रेटिंग करेगी। इसके अलावा भी कुछ शर्तें हैं, जिनके बारे में इस योजना से जु़ड़े अधिकारी जानकारी दे सकते हैं।

एफपीओ बनाकर पैसा लेने की शर्तें
(1) अगर संगठन मैदानी क्षेत्र में काम कर रहा है तो कम से कम 300 किसान उससे जुड़े होने चाहिए। यानी एक बोर्ड मेंबर पर कम से कम 30 लोग सामान्य सदस्य हों। पहले 1000 था।
(2) पहाड़ी क्षेत्र में एक कंपनी के साथ 100 किसानों का जुड़ना जरूरी है। उन्हें कंपनी का फायदा मिल रहा हो।
(3) नाबार्ड कंस्ल्टेंसी सर्विसेज आपकी कंपनी का काम देखकर रेटिंग करेगी, उसके आधार पर ही ग्रांट मिलेगी।
(4) बिजनेस प्लान देखा जाएगा कि कंपनी किस किसानों को फायदा दे पा रही है। वो किसानों के उत्पाद का मार्केट उपलब्ध करवा पा रही है या नहीं।
(5) कंपनी का गवर्नेंस कैसा है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कागजी हैं या वो काम कर रहे हैं। वो किसानों की बाजार में पहुंच आसान बनाने के लिए काम कर रहा है या नहीं।
(6) अगर कोई कंपनी अपने से जुड़े किसानों की जरूरत की चीजें जैसे बीज, खाद और दवाईयों आदि की कलेक्टिव खरीद कर रही है तो उसकी रेटिंग अच्छी हो सकती है। क्योंकि ऐसा करने पर किसान को सस्ता सामान मिलेगा।

अभी कितनी किसान कंपनियां-
एफपीओ का गठन और बढ़ावा देने के लिए अभी लघु कृषक कृषि व्यापार संघ और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक काम कर रहे हैं। दोनों संस्थाओं के मिलाकर करीब पांच हजार एफपीओ रजिस्टर्ड हैं। मोदी सरकार इसे और बढ़ाना चाहती है। इसलिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) को भी इसकी जिम्मेदारी दे दी गई है।

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