बिहार में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है । राजधानी पटना में सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बन गया है. तो वहीं, पड़ोसी जिले नालंदा भी संक्रमण के मामले में चौथे पायदान में है. लेकिन प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही की वजह से कोरोना वायरस पटना और नालंदा के बीच फंस गया है।
प्रशासन की बड़ी लापरवाही
नालंदा के हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक के संक्रमण के बाद प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। पटना से अस्पताल तक आने जाने की कड़ी भी नहीं खोजा गया है। परिवार के सदस्यों का भी नमूना नहीं लिया गया है। दोनों जिलों के सिविल सर्जन और अन्य अधिकारियों के बीच सामंजस्य नहीं होने के कारण अब तक परिवार के सदस्यों का नमूना नहीं लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि संक्रमित डॉक्टर पटना में ही अपने घर में हैं, उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भी नहीं डाला गया है।
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नियम की उड़ी धज्जी
नियम है कि कोई भी व्यक्ति संक्रमित होता है और उसके किसी जिले में कांटेक्ट हिस्ट्री सामने आती है तो संबंधित जिले के अधिकारियों को फोन किया जाता है। लिखित सूचना सिविल सर्जन कार्यालय को दी जाती है ताकि संक्रमण फैलने से पहले ही प्रभाव को रोका जा सके। हिलसा के चिकित्सक के मामले में ऐसा नहीं किया गया है। पटना से जुड़ा मामला होने के बाद भी पटना के स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी सूचना ही नहीं दी गई है। ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले में को नियम को ताख पर रखना भारी पड़ सकता है। अब तक पटना में कोई भी मामला हुआ है तत्काल कार्रवाई की गई है। कंटेनमेंट जोन बनाने के साथ नमूना लेने का काम भी तेजी से किया जाता है।
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पटना के सीएस का क्या कहना है
चित्रगुप्त नगर में एक अपार्टमेंट में रहने वाले डॉक्टर के परिजनों का अब तक कोई नमूना लिया गया है। कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद भी नालंदा के सिविल सर्जन ने पटना को नहीं दी। पटना के उप विकास आयुक्त रिची पांडेय ने बताया कि मामला नालंदा से किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिली है़, लेकिन जानकारी मिलने पर उनके परिजनों का सैंपल लिया जाएगा।पटना के सिविल सर्जन डॉक्टर राज किशोर चौधरी का कहना है कि मामला नालंदा का है और वहां से अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है। जानकारी मिलते ही परिजनों का नमूना लेकर पटना की कांटेक्ट हिस्ट्री खंगाली जा रही है।