बिहारशरीफ से पटना और नवादा जाने वालों के लिए गुड न्यूज़ है। सरकारी बस स्टैंड से चलने वाली बसों की संख्या बढ़ने वाली है। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की 10 और बसें बिहारशरीफ सरकारी बस स्टैंड से पटना और नवादा के लिए खुलेगी। पहले से 26 बसें चल रही है। अब यह बढ़कर 36 हो गई है।
20 मिनट पर खुलती है एक गाड़ी
सरकारी बस स्टैंड से सुबह 5 से लेकर शाम के 6 बजे तक प्रत्येक 20 मिनट पर पटना के लिए गाड़ी खुलती है। प्रतिदिन सरकारी बस डिपो से 1500 यात्री सफर करते हैं। 26 सरकारी बसों के अलावा 10 पीपीपी मोड पर गाड़ी चलती है। रास्ते में अनावश्यक स्टॉपेज नहीं रहने के कारण लोग सरकारी बस से यात्रा करना पसंद कर रहे हैं। डीपो अधीक्षक ने बताया कि सुबह 4 बजे से ही यात्री पहुंचने लगते हैं।
सुविधाओं का है अभाव
गाड़ियों के परिचालन से भले ही स्टैंड में चहल पहल बढ़ गई है लेकिन सुविधाओं का घोर अभाव है। न तो यात्री शेड है और न ही शौचालय की सुविधा। पुराना भवन भी जर्जर हालत में है। यहां काम करने वाले कर्मचारी दुर्घटना की आशंका से सहमे रहते हैं। कर्मी बताते हैं कि यहां कर्मियों की संख्या कम है। एक कर्मी को कई काम देखना पड़ता है।
हर बस से 60 रुपए एजेंटी
लाठी के जोर पर यहां दबंग एजेंटी वसूलते हैं। प्रत्येक बस 60 रुपए एजेंटी वसूली जाती है। माह में लाख रुपए से भी ज्यादा की वसूली एजेंट कर रहे हैं। यही नहीं एजेंटों की मनमानी का आलम यह है कि सरकारी बस के यात्रियों को निजी बस पर बैठाने से भी नहीं डरते। यानी यात्रियों की खरीद फरोख्त कर निजी बस संचालकों से भी ये कमीशन कमा रहे हैं। डिपो अधीक्षक ने बताया कि सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। कुछ बोल नहीं सकते।
शौचालय पर भी कब्जा
बस स्टैंड में यात्रियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। सुलभ शौचालय है तो उस पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। साफ-सफाई नहीं रहने और जानकारी के अभाव में यात्री वहां तक नहीं जाते। यही नहीं दबंगों ने यहां अवैध रूप से टैक्सी स्टैंड बना रखा है।
जर्जर भवन में चल रहा कार्यालय
काम करने वाले कर्मियों का कहना है कि कार्यालय की बेहतर सुविधा नहीं। जर्जर भवन में काम करना पड़ता है। अगर शौचालय को कब्जा मुक्त कर दिया जाए तो एक बेहतर कार्यालय के रूप में विकसित किया जा सकता है। इसके लिए विभाग को कई बार लिखा गया है।