
नालंदा जिला के सरकारी स्कूलों में कुव्यवस्था की लगातार शिकायतें मिल रही है। शिक्षा विभाग की लाख कोशिशों के बावजूद मास्टर से लेकर हेडमास्टर तक कोई सुधार करने को तैयार नहीं है।ऐसे में अब जिला शिक्षा विभाग हेडमास्टरों पर कार्रवाई करने के मूड में आ गया है। ताजा वाक्या उत्क्रमित मध्य विद्यालय पलटपुरा का है। जहां निरीक्षण के दौरान स्थिति बदतर और शैक्षणिक वातावरण असंतोषजनक पाया गया था। संकुल समन्वयक मो. तौकीर अहमद ने जांच के दौरान उत्क्रमित मध्य विद्यालय पलटपुरा में काफी अनियमितताएं संबंधी रिपोर्ट विभाग को सौंपी थी। उसके बाद बीईओ हरनौत से पूरे मामले की जांच करायी गई। जांच में संकुल समन्वयक द्वारा लगाए गए आरोप सही साबित हो गये। डीपीओ श्री अरिंजय ने बताया कि हेडमास्टर सुजन्ती कुमारी से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है। ऐसे में दोबारा उन्हें नोटिस भेजा गया है। अगर तीन दिन के भीतर हेडमास्टर ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो उसपर विभागीय कार्रवाई होना तय है। ।
पलटपुरा मिडिल स्कूल में क्या-क्या मिली गड़बड़ियां
07 दिसंबर 2016 से 08 दिसंबर 2017 तक विद्यालय से अनधिकृत अनुपस्थित पाया जाना, कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही।
मध्याह्न भोजन योजना का पंजी अनुश्रवण तिथि को नहीं दिखाना और योजना बंद पाया जाना।
विद्यालय में शैक्षणिक वातावरण पूरी तरह ध्वस्त और विद्यालय का संचालन समय से नहीं किया जाना।
07 दिसंबर 2017 को जांच के क्रम में भौतिक सत्यापन में 91 छात्र-छात्रा एवं तीन दिन पूर्व की औसत उपस्थिति 162 पाया गया, जो नामांकन की 25 प्रतिशत उपस्थिति है।
जांच रिपोर्ट पर बीईओ की लगी मुहर
बीईओ ने जांच रिपोर्ट में स्कूल की पूरी व्यवस्था पर कड़ी टिप्पणी की है। यहां तक कि उन्होंने विद्यालय की पठन-पाठन व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त बताया है। उनकी जांच रिपोर्ट में बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं रहना, घर पर रजिस्टर रखना जैसी गंभीर बातें शामिल है। जिस तरह से दो स्तरों पर जांच रिपोर्ट बनी है वैसे में एचएम पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है। 07 दिसंबर 2016 से 08 दिसंबर 2017 तक बिना स्वीकृत आवेदन पत्र पाया गया। 08 दिसंबर 2017 को लाल स्याही से कटिंग उपस्थिति कॉलम में उपस्थिति दर्ज पाया जाना। अनधिकृत अनुपस्थिति पाए जाने का पुख्ता आधार है। 09 मई 2018 को जांच के क्रम में मध्याह्न भोजन योजना की पंजी नहीं दिखाया गया। विद्यालय में शिक्षण कार्य का कोई माहौल नहीं पाया गया। शिक्षक खानापूर्ति करके चले जाते है। सिलेबस शिक्षक के द्वारा संधारित नहीं किया जाता है। विद्यालय व्यवस्था और कार्यालय अस्त व्यस्त पाया जाना, बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं है। एसडीजी एवं एसएमजी की राशि का गबन हुआ है।