अब और कितना इंतजार- 1 गांव के चक्कर में फंसा नेऊरा-दनियावां और बरबीघा-शेखपुरा रेलखंड

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नालंदा और शेखपुरा जिला के लोगों का इंतजार लंबा होता जा रहा है। महज 15 एकड़ के फेर में 549 एकड़ भूमि का अधिग्रहण बेमानी साबित हो रहा है. इस वजह से 16 सालों में 42 किमी लंबी नेऊरा-दनियावां और बरबीघा-शेखपुरा रेलखंड प्रोजेक्ट का काम भी शुरू नहीं हो सका है।

बेहद महत्वकांक्षी परियोजना है नेऊरा-दनियावां और बरबीघा-शेखपुरा रेलखंड
ये बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना मानी जा रही थी। इसके पूरा होने पर पटना-झाझा-हावड़ा रेलखंड में ट्रेन परिचालन में अपेक्षित सुधार हो सकता था। ट्रेनों की लेटलतीफी रुक जाती। जानकारी के मुताबिक पटना-झाझा-हावड़ा रेलखंड पर रोजाना डेढ़ सौ जोड़ी ट्रेनों की आवाजाही है। इस रेलखंड पर ट्रेनों का लोड कम करने को लेकर साल 2002-03 में नेऊरा-दनियावां और बरबीघा-शेखपुरा रेलखंड बनाने को मंजूरी दी गयी थी। इस प्रोजेक्ट के जरिये पटना-झाझा रेलखंड पर निर्धारित समय से ट्रेनों की परिचालन भी सुनिश्चित किया जाना था। वहीं, आपात स्थिति के दौरान हावड़ा, कमाख्या, पुरी, डिब्रूगढ़ और अलीपुरद्वार जाने वाली ट्रेनों को नेऊरा-दनियावां के रास्ते चलाने की योजना थी।

नेऊरा-दनियावां और बरबीघा-शेखपुरा रेल परियोजना में क्या है बाधा
इसको लेकर 47 गांवों के 564 एकड़ भूखंड का अधिग्रहण किया जाना है. इसमें 46 गांवों के 549 एकड़ भूखंड का अधिग्रहण हो चुका है।43 गांवों के जमीन मालिकों ने अधिगृहीत भूखंड के कागजात मुहैया करा दिये हैं। जबकि तीन गांवों के जमीन मालिकों की सहमति के कागज लेने की प्रक्रिया अब भी चल रही है। जानकारी के मुताबिक पटना जिले के चमुचक गांव के 15.175 एकड़ भूखंड का अधिग्रहण नहीं किया जा सका है, जिसकी लंबाई करीब सवा (1.31) किलोमीटर है। इस भूखंड का अधिग्रहण नहीं होने से परियोजना अब तक लटकी हुई है।

नेऊरा-दनियावां और बरबीघा-शेखपुरा रेल परियोजना की मुख्य बातों पर एक नजर
नेऊरा-दनियावां और बरबीघा-शेखपुरा रेल परियोजना को 2002-03 में मंजूरी मिली थी
नेऊरा-दनियावां और बरबीघा-शेखपुरा रेलखंड की लंबाई 42.2 किमी है

47 गांवों की 564 एकड़ जमीन की है जरूरत
भूमि अधिग्रहण के लिए 120.23 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है
अब तक 549 एकड़ भूखंड अधिग्रहण हो चुका है
15 एकड़ जमीन का अधिग्रहण अभी और करना बाकी है
सिर्फ एक गांव पटना के चमुचक में अधिग्रहण का फंसा है मामला
टेंडर निकला, पर नहीं चयनित की जा सकी एजेंसी

रेलवे बोर्ड ने पूर्व मध्य रेल को भूमि अधिग्रहण के लिए 120.23 करोड़ रुपये का आवंटन किया. रेलवे ने पटना जिला प्रशासन के सहयोग से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। साथ ही रेलखंड के निर्माण को लेकर रेलवे ने वर्ष 2016 में टेंडर भी निकाला, लेकिन टेंडर में शामिल एजेंसियों ने शत-प्रतिशत भूखंड उपलब्ध कराने की शर्त रखी तो रेलवे भूखंड उपलब्ध नहीं करा सकी. हैरत की बात है कि इसके बाद से अधिग्रहण के लिए दोबारा प्रयास नहीं किये गये.

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