नालंदा लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई है. उनके भाग्य का फैसला 23 मई को होगा. लेकिन मतदान के दौरान एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. नालंदा लोकसभा सीट पर एक भी किन्नर ने वोट नहीं डाले हैं.
नालंदा में कितने किन्नर वोटर
नालंदा जिला में कुल वोटरों की संख्या 21 लाख नौ हजार है. जिसमें महज 75 वोटर ही किन्नर हैं. लेकिन एक भी किन्नर वोटर ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया . अगर बात विधानसभा क्षेत्र के हिसाब करें तो नालंदा जिला में सबसे ज्यादा बिहारशरीफ में 22 किन्नर मतदाता हैं. जिसमें एक ने भी वोट नहीं डाले. इसके बाद अस्थावां और नालंदा में 10-10 किन्नर वोटर हैं. जबकि राजगीर ,इस्लामपुर और हरनौत में 9-9 वोटर थर्ड जेंडर के हैं. वहीं, हिलसा में 6 किन्नर मतदाता हैं. लेकिन एक भी किन्नर ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया
कोई भी वोट मांगने नहीं आया
किन्नर मतदाताओं से जब हमने जानने की कोशिश की तो उनका कहना है कि किसी भी उम्मीदवार ने उनसे संपर्क नहीं किया. न कोई प्रतिनिधि उनसे बात और न हीं किसी ने वोट मांगा. उनकी शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी से भी है. उनका कहना है कि हर वर्ग के लोगों को वोटिंग के लिए कहा गया लेकिन उनकी महज छोटी सी आबादी से संपर्क भी नहीं साधा गया. ऐसे में उनलोगों ने वोट डालना उचित नहीं समझा
कब मिला थर्ड जेंडर को वोटिंग का अधिकार
आजादी के बाद किन्नरों को वोटिंग का अधिकार नहीं था. वो वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकती थीं. लेकिन करीब 45 साल बाद साल 1994 में किन्नरों को भी वोटिंग का अधिकार मिला. जिसके बाद किन्नर भी बढ़ चढ़कर राजनीति में हिस्सा लेने लगे. साल 1998 में मध्य प्रदेश के शहडोल जिला के सोहागपुर विधानसभा सीट से शबनम मौसी विधायक बनीं थी. ये पहला मौका था जब कोई किन्नर की सियासत में एंट्री हुई थी. इसके बाद तो गोरखपुर में किन्नर को महापौर बनने का गौरव मिला।