अब सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की नहीं चलेगी मनमर्जी

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नालंदा जिला के सरकारी अस्पतालों में इलाज के दौरान पर्ची पर डॉक्टर दवा की पर्ची पर बीमारी का नाम नहीं लिखते हैं। वो सिर्फ दवा के नाम लिख देते हैं या बीमारी को शॉर्ट फॉर्म में ऐसे लिखते हैं कि दूसरा डॉक्टर पढ़ ही न सके। जिससे मरीजों को खासी परेशानी होती है। खासकर जब वो इलाज के लिए दूसरे या बड़े अस्पतालों में जाते हैं तो बीमारी की डाग्यनोसिस फिर से करना होता है। लेकिन अब सरकारी अस्पतालों में इलाज करने वाले डॉक्टरों को अब मरीज की पर्ची और ओपीडी और आईपीडी रजिस्टर में उसकी बीमारी का भी नाम स्पष्ट रूप से लिखना होगा। डॉक्टर मरीज को आउटडोर में देखें या इमरजेंसी में उन्हें मरीज की बीमारी के बारे में स्पष्ट रूप से लिखना होगा। डॉक्टरों को बीमारी की डॉयग्नोसिस करनी होगी।

अब लिखना होगा बीमारी का नाम और डाग्यनोसिस
नालंदा के सिविल सर्जन डॉ सुबोध कुमार सिंह ने सभी सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों को निर्देश जारी कर दिया है कि इलाज के दौरान स्पष्ट रूप से पर्ची और रजिस्टर पर बीमारी का नाम लिखना है। अगर जांच के पूर्व दवाई लिख रहे हैं तो यह अंकित करें कि किस बीमारी की आशंका पर दवा लिखा गया है। अगर जांच के बाद बीमारी का पता चल जाये तो रजिस्टर में यह अंकित करें कि वह कौन सी बीमारी है।

डॉक्टर नीतीश कुमार की राय जानिए

कुमार नेत्रालय के डॉक्टर नीतीश कुमार जो बिहारशरीफ सदर अस्पताल में आंख रोग के विशेषज्ञ भी हैं । उनके मुताबिक भी हर डॉक्टर को दवा की पर्ची पर पूरा डिटेल लिखना चाहिए । देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स से पढ़ाई किए हुए डॉक्टर नीतीश का कहना है कि एम्स में इलाज के दौरान मरीज के एक एक शब्द को लिखा जाता है ताकि उस मरीज का मेडिकल हिस्ट्री तैयार हो सके। इतना ही नहीं उनका कहना है कि आगे कभी दोबारा जब मरीज इलाज के लिए आता है तो इससे मरीज के बीमारी के बारे में पता चलता है साथ ही ये भी पता चल जाता है कि इसे किस बीमारी में कौन सी दवा चल रही थी। ऐसे में उन्होंने भी सभी डॉक्टरों से  दवा की पर्ची पर पूरी डाग्यनोसिस लिखने की अपील की।

एपिडेमोलोजिस्ट करेंगे मॉनिटरिंग
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला एपिडेमोलोजिस्ट को मॉनिटरिंग करने का निर्देश दिया गया है जो सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी क्लिनिकों से भी मरीजों की बीमारी का डाटा कलेक्ट कर विभाग को भेजेंगे ताकि विभाग को यह जानकारी मिल सके कि किस जिले में किस बीमारी के कितने मरीज है।

बीमारी का सही आंकड़ा मिल सकेगा
अभी तक केवल सरकारी अस्पतालों से कुछ ही बीमारियों का ब्योरा राज्य मुख्यालय को भेजा जाता है। प्राईवेट क्लिनिकों से तो बीमारियों की कोई रिपोर्ट जाती ही नहीं, लेकिन प्राईवेट क्लिनिकों से भी रिपोर्ट ली जायेगी। मुख्यालय को सभी तरह की बीमारी की रिपोर्ट भेजी जायेगी। जिससे पता चल सकेगा कि वास्तविक रूप में जिले में किस बीमारी के कितने रोगी है। अगर किसी क्षेत्र में किसी खास बीमारी या अंजान बीमारी का प्रकोप फैलता है तो सिविल सर्जन उस क्षेत्र में जांच करा कर उसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजेंगी कि वास्तव में यह कौन सी बीमारी है।

इसे भी पढ़िए- जब रणभूमि में बदल गया बिहारशरीफ का सदर अस्पताल

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