बिहारशरीफ को स्मार्टसिटी बनाने की मुहिम को बड़ा झटका लगा है। स्वच्छता सर्वेक्षण में बिहारशरीफ देश की टॉप 100 तो छोड़ दीजिए टॉप 300 में भी जगह नहीं बना पाया है। अधिकारी इसके लिए संसाधनों की कमी का रोना रहे हैं.. तो वहीं, कुछ लोग शहरवासियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
साल 2018 में देशभर के शहरों में स्वच्छता को लेकर सर्वेक्षण हुआ था। जिसमें बिहार शरीफ को 391वां स्थान हासिल हुआ है । यानी अपना शहर अंडर 100 से बाहर है। जबकि बिहारशरीफ में साफ-सफाई के लिए लगातार अभियान चलाये जाने का दावा किया जा रहा है। जबकि वहीं मध्य प्रदेश का इंदौर और भोपाल साफ सफाई के मामले में सबसे अव्वल है।
बिहार में तीसरा स्थान
बिहार के चार शहर स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल हैं। इसमें बिहारशरीफ को तीसरा स्थान मिला है। चारों स्मार्ट सिटी में पटना 1685.55 अंक के साथ पहले स्थान पर है । तो वहीं, मुजफ्फरपुर 1319.91 अंक के साथ दूसरे और बिहारशरीफ 1300.76 अंक के साथ तीसरे स्थान पर है । जबकि भागलपुर 1067.38 अंक के साथ चौथे स्थान पर रहा। अगर ऑल इंडिया रैंकिंग की बात करें तो पटना 318, मुजफ्फरपुर 387, बिहारशरीफ 391 और भागलपुर स्मार्ट सिटी 492 स्थान पर है।
4 हजार अंकों के आधार पर तय होनी थी रैंकिंग
स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत 4 हजार अंकों पर रैंकिंग होनी थी। बिहारशरीफ सहित यहां के अन्य तीन स्मार्ट सिटी में शामिल अंक देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सर्वेक्षण में कितनी बुरी गत हुई है। यानी एक तरह से स्वच्छता के मोर्चे पर फिसड्डी साबित हुए हैं। बिहार के चारों स्मार्ट सिटी में नम्बर 1 रहकर राजधानी पटना शहर नाक बचाने में सफल रहा है। सर्विस लेवल प्रोग्रेस के तहत 1400, डिस्ट्रिक्ट ऑबजर्वेशन के तहत 1200 और सिटीजन फीडबैक के तहत 1400 अंकों की प्रतियोगिता थी। जिसमें बिहारशरीफ को 1300.76 अंक ही आये।
कचरा प्रबंधन सबसे बड़ी बाधा
बिहारशरीफ के नगर आयुक्त का कहना है कि शहर की स्वच्छता में सबसे बड़ी बाधा कचरा प्रबंधन है। जब तक ये शुरू नहीं होगा तब तक इससे जुड़े अन्य काम शुरू नहीं हो सकते। डंपिंग जोन को बने बगैर सौंदर्यीकरण नहीं किया जा सकता है और न ही खाद निर्माण का काम शुरू होगा। ऐसे में पिछड़ना ही है। अभी कचरा प्रबंधन के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अचानक जुर्माना लगाने से परेशानी खड़ी होगी। कचरा प्रबंधन ने ही मुजफ्फरपुर को बिहार का दूसरा स्वच्छ शहर बनाया।
निगम ने नहीं दिखायी रुचि
निगम लाख दावा करे लेकिन सच यही है कि स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर महज औपचारिकता पूरी की गयी। एप डाउनलोड करना और आम नागरिकों द्वारा फीडबैक लेना दो ऐसे काम थे जिस पर आसानी से काम किया जा सकता था। इसके लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत थी। निगम कुछ स्थानों पर होर्डिंग लगाकर सो गया। लोगों को जागरूक किया जाये इसके लिए अलग से कोशिश नहीं की गयी। यदि इस मुद्दे पर थोड़ा सा भी अतिरिक्त काम होता तो निर्धारित 1400 में बेहतर अंक प्राप्त किया जा सकता था।
शहरवासी भी जिम्मेदार
शहर की सफाई व्यवस्था ठीक-ठाक रहने के बावजूद यदि स्वच्छता सर्वेक्षण में बुरी गत हुई है तो इसके लिए शहरवासी भी जिम्मेवार हैं। एप डाउनलोड करने और फीडबैक भेजने में शहरवासियों ने रुचि नहीं दिखायी।
बहुत कुछ करने की जरूरत है
बिहारशरीफ के नगर आयुक्त सौरभ जोरवाल का कहना है कि स्वच्छता के मामले में शहर की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। साथ ही और सुधार की कोशिश की जा रही है लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण का जो कैरिटेरिया है उस पर खरा उतरने में समय लगेगा। बहुत सारे ऐसे सिस्टम हैं जिस पर काम शुरू हो पाना मुश्किल है।
नालंदा लाइव की अपील
नालंदा लाइव भी शहर वासियों से अपील करता है कि अपने शहर को चकाचक बनाने में मदद करें। जबतक हम खुद जागरुक नहीं होंगे तब तक हमें कोई चकाचक नहीं बनाएगा। फंड आएगा और चला जाएगा। लेकिन हमें अपने शहर में रहना है।इसलिए गंदगी और कूड़ा फैलाने वालों को आगे बढ़कर मना करें उन्हें ऐसा करने से मना करें । ये हम सब की जिम्मेदारी..! उम्मीद है हम सब मिलकर अपने बिहारशरीफ को चकाचक करेंगे। कूड़ा मुक्त बनाएगा।