बिहार में संविदा और नियोजित कर्मचारियों के लिए खुशखबरी.. जानिए कितनी बढ़ने वाली है सैलरी

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बिहार में संविदा के तहत नियोजित कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है । नीतीश सरकार संविदा पर नियुक्त टाइपिस्ट और एलडीसी को नए साल का तोहफा देने जा रही है। नियोजित आशुलिपि और निम्न वर्गीय लिपिक का मानदेय बढ़ाने जा रही है । इसके लिए नीतीश सरकार ने सभी विभागों के सेक्रेटरी , डीजीपी, कमिश्नर और डीएम को पत्र भेजा है.

मानदेय कितना होगा ?
संविदा के आधार पर नियोजित आशुलिपिक एवं निम्न वर्गीय लिपिक के मानदेय का निर्धारण करने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था । अब विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली टीम ने इसके लिए अनुशंसा कर दिया है । जिसके मुताबिक आशुलिपिक को 30,000 और निम्न वर्गीय लिपि को 25,000 रुपए का मानदेय देने की अनुशंसा की गई है. जिसे लागू करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव बी राजेंद्र ने सभी विभागों को निर्देश जारी कर दिया है .

कब से लागू होगा नया मानदेय
बिहार सरकार ने अपने आदेश में सभी विभागों को संविदा पर नियुक्त आशुलिपिक और लोअर डिविजनल क्लर्क के मानदेय के लिए तारीख का ऐलान कर दिया है । जिसके मुताबिक सभी विभागीय कार्यालयों में संविदा पर नियोजित आशु लिपिक नया मानदेय 8 सितंबर 2023 से प्रभावी होगा. जबकि निम्न वर्गीय लिपिक का मानदेय 1 दिसंबर 2024 के प्रभावी रहेगा. यानि आशुलिपिकों और निम्न वर्गीय लिपिक को एरियर के तौर पर पैसे दिए जाएंगे ।

मानदेय में एकरुपता का फैसला
दरअसल, संविदा पर नियोजित आशुलिपिक और निम्न वर्गीय लिपिक की मांग बहुत पुरानी थी । जिसमें एकरुपता की मांग की गई थी। कर्मचारियों का आरोप था कि अलग-अलग विभागों में संविदा कर्मियों की नियुक्ति में मानदेय में एकरूपता नहीं रखी गई है। जिसके बाद कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने ये फैसला लिया कि एक ही पद के लिए अलग-अलग मानदेय का भुगतान नहीं किया जा सकता है ।

कमेटी में कौन-कौन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर संविदा नियोजित कर्मियों के मानदेय निर्धारण के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। जिसमें संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव सदस्य सचिव मेंबर थे । जहां संविदा पर नियोजित आशुलिपिक एवं निम्न वर्गीय लिपिक सभी विभागों में पदस्थापित हैं. कमेटी ने माना कि ऐसे में सभी विभागों में संविदा नियोजित इन कर्मियों के मानदेय निर्धारण में एकरूपता जरूरी है.

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