
ऊंची दुकान फीकी पकवान की कहावत तो आप सब पहले से जानते हैं. लेकिन अब ऊंची दुकानदार मिलावटखोर हो गए हैं. वे ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने पर उतारू हो गए हैं. नालंदा जिला में ऐसे ही कई दुकानदार मिलावटी खोरी के दोषी पाए गए हैं. जिनपर अदालत ने जुर्माना लगाया है. बिहारशरीफ और दूसरे जगहों के उन सब दुकानदारों के बारे में बताएंगे. जो मिलावटखोरी के लिए दोषी पाए गए हैं. लेकिन पहले पूरा मामला जान लीजिए
क्या है पूरा मामला
नालंदा के एडीएम नौशाद अहमद की कोर्ट ने पांच दुकानदारों को मिलावट खोरी के आरोप में दोषी पाया है. जिसमें दो तेल मिल और तीन मिठाई की दुकान हैं. इन सभी पर 11-11 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.
किन-किन दुकानों पर लगा जुर्माना
एडीएम कोर्ट ने जिन पांच मिलावटखोरों पर जुर्माना लगाया है. उसमें बिहारशरीफ के पुलपर स्थित नामी गिरामी नालंदा मिष्ठान, आलमगंज स्थित न्यू नालंदा मिष्ठान भंडार और नवाब रोड स्थित अग्रवाल स्वीस्ट्स एंड स्नैक्स शामिल है. इसके अलावा दो तेल मिलों पर भी जुर्माना लगाया गया है. जिसमें राकेश रंजन ऑयल मिल मेहनौर और रंजीत जनरल स्टोर एवं मिल नूरसराय का नाम शामिल है.
लिस्ट में कई और मिलावटखोर हैं जिनका नाम हम आगे बताएंगे. पहले आपको पूरा मामला समझाते हैं कि आखिर इन लोगों को पकड़ा कैसे गया
पूरा मामला समझिए
मामला करीब दो साल पुराना है. साल 2018 में दीपावली के समय फूड इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार ने नालंदा जिला के 29 दुकानों पर छापेमारी की थी. जिनपर शक था कि वो मिलावटखोरी के धंधे में लिप्त हैं. इन दुकानों के सैंपल को जांच के लिए पटना के अगमकुआं स्थित लैब में भेज दिया गया. जांच रिपोर्ट में 29 में से 13 दुकानदारों द्वारा मिलावटीखोरी की पुष्टि हुई. जिसमें 5 दुकानदारों पर 11-11 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया. जबकि बाकी 8 दुकानदारों पर सुनवाई जारी है.
किन और 8 दुकानों के नमूने फेल
– मिर्ची रेस्टोरेंट बिहारशरीफ
– दुखी होटल
– बुच्ची साव मिष्ठान दुकान सोहसराय
– मोना स्वीट्स अंबेर
– स्वीट्स हाउस अंबेर
– होली कैंटीन पावापुरी
– पवन मिष्ठान भंडार राजगीर
– संजय किराना स्टोर
क्या कहता है कानून
खाद्य संरक्षक व मानक अधिनियम 2006 के तहत पांच लाख रुपए तक का जुर्माना और 3 से 7 साल जेल की सजा का प्रावधान है. साथ ही कई मामलों में आजीवन कारावास का भी प्रावधान किया गया है.
फूड इंस्पेक्टर का करवा दिया था तबादला
तत्कालीन फूड इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार की कार्रवाई के बाद दुकानदारों में हड़कंप मच गया था. आम लोगों को भी भरोसा होना शुरू हुआ था कि कोई अफसर तो है जो इन मिलावटखोरों को नंगा कर रहा है. लेकिन जैसा कि फिल्मों में होता है. वैसा ही हुआ. कहा जाता है कि दुकानदारों ने स्थानीय नेताओं से सांठगांठ कर वीरेंद्र कुमार का तबादला करवा दिया. साथ ही उनपर उल्टा रिश्वत लेने का आरोप लगा दिया.
सच को आंच कहां
लेकिन कहावत है ना कि सच को कभी आंच नहीं आती है. भले ही देर हो. एक बार ये कहावत सही साबित हुआ. फूड इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार के तबादले के बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में चल गया था. दो साल बाद ही सही. सच्चाई सामने आ गई है. मिलावटखोरों को मामूली जुर्माना लगाया गया है. क्योंकि इनकी पैरवी के लिए बड़े बड़े वकील मैदान में उतर गए थे.
नए फूड इंस्पेक्टर से अपील
नालंदा लाइव जिलावासियों की तरफ से जिला प्रशासन से अपील करता है कि आप भी हिम्मत दिखाइए और मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई कीजिए. नहीं चंद पैसों ये लालची कितने लोगों की जिंदगी निगल जाएंगे. जरा सोचिए इन लोग इन दुकानों पर इतना भरोसा करके जाते हैं और ये लोगों को लूटते हैं. उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं.