गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार ब्रह्मोस की ताकत दिखेगी. दुनिया के पहले क्रूज मिसाइल सिस्टम ब्रह्मोस के दस्ते को बिहार का बेटा लीड करेगा.ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना का वो अचूक शस्त्र है, जो धरती से धरती पर मारक क्षमता रखता है. 400 किलोमीटर की मारक क्षमता रखने वाला यह हथियार देश की आन-बान और शान का प्रतीक है. इसकी गति ध्वनि की रफ्तार से भी तीन गुणा ज्यादा है.
कैप्टन करेंगे क्रूज मिसाइल को लीड
कैप्टन मो. कमरूल जमां गणतंत्र दिवस(Republic Day 2021) पर नई दिल्ली के राजपथ पर होने वाली रिपब्लिक डे परेड में ब्रह्मोस मिसाइल दस्ते का नेतृत्व करेंगे. वे बिहार के सीतामढ़ी जिले के राजानगर तलखापुर गांव के रहने वाले हैं.
चिकेन बेचने वाला का बेटा बना कैप्टन
कैप्टन कमरूल जमां के पिता का नाम गुलाम मुस्तफा है. वे नाहर चौक स्थित रजानगर में चिकन बेचते है. गुलाम मुस्तफा ने पेट काटकर बेटे को फौज में भर्ती कराया। बड़ी गरीबी-मुफलिसी से निकल कर आज उनका बेटा इस मुकाम तक पहुंचा है।
थल सेना की मिसाइल रेजिमेंट में हैं तैनात
इस बार की गणतंत्र दिवस परेड में ब्रह्मोस दस्ते की अगुआई करने जा रहे कैप्टन कमरूल जमां बचपन से ही फौज में जाना चाहते थे। उनके अब्बा मुस्तफा का कहना है कि कमरूल जमां बचपन से ही फौज में जाने का सपना देखते थे। स्कूली शिक्षा सीतामढ़ी के MP हाईस्कूल से पूरी करने के बाद उन्होंने सेना में एक जवान के रूप में ज्वाइन किया। 2012 में वह आर्मी मेडिकल कोर में भर्ती हुए। इसके बाद आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज पुणे से बी.फार्मा का कोर्स पूरा किया। फिर आर्मी कैडेट कॉलेज कमीशन पास कर सेना में अधिकारी बनने में कामयाब रहे। इंडियन मिलिट्री एकेडमी से 2018 में पासआउट होने के बाद वे अभी भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर हैं। इन दिनों थल सेना की मिसाइल रेजिमेंट में तैनात हैं और देश की सेवा कर रहे हैं।
ड्रेस के लिए कर्ज लेने पड़े थे पैसे
कैप्टन कमरूल जमां के पिता मुस्तफा ने बताया कि बड़ी गरीबी में पलकर उनका बेटा इस ओहदे तक पहुंचा है। एक वक्त था, जब कमरूल जमां के ड्रेस तक के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। कर्ज लेकर किसी तरह ड्रेस खरीदे थे। बेटे की पढ़ाई के लिए कई बार कर्ज लेने पड़े थे। कमरूल जमां घर में सबसे बड़ा लड़का है। छोटी बहन चांदनी भी देश की सेवा करना चाहती है। अभी ग्रेजुएशन करके सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही है।