मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा जिला के हरनौत विधानसभा क्षेत्र के कल्याण बिगहा के गांव रहने वाले हैं. मुख्यमंत्री का गांव होने के नाते कल्याण बिगहा में विकास हुआ है. गांव की सड़क एकदम चिकनी है और इसके बीच में सफ़ेद निशान भी बने हैं। सड़क के दोनों तरफ हरे भरे खेत हैं। गांव के प्रवेश द्वार पर एक आईटीआई है और एक रेफरल अस्पताल है। साथ ही शूटिंग रेंज है।
कल्याण बिगहा से ग्राउंड रिपोर्ट
हमारी टीम कल्याण बिगहा पहुंची. जो नालंदा जिला के हरनौत विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। हरनौत सीट पर लगातार जेडीयू का कब्जा रहा है. हरिनारायण सिंह जेडीयू विधायक हैं और इस बार भी जेडीयू ने हरिनारायण सिंह पर अपना दांव लगाया है. कल्याण बिगहा में मंदिर के पीछे ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुश्तैनी घर है। यहां कोई रहता नहीं है। घर पर ताला लटका था। गांव में बिजली है, पीने के पानी की भी व्यवस्था है। अच्छी सड़क है। पढ़ाई के लिए स्कूल है। सुरक्षा के लिए पुलिस आउटपोस्ट भी है। यह सब हुआ नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुआ है। गांव के ज्यादातर लोग नीतीश के साथ तो थे लेकिन स्थानीय विधायक हरिनारायण सिंह से नाराज थे।
गांव वालों की पहली शिकायत
कल्याण बिगहा के लोग स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि नीतीश कुमार की वजह से उन्होंने जदयू के उम्मीदवार हरिनारायण सिंह को वोट दिया था। दो बार से उन्हें विधानसभा चुनाव में जितवाया था। लेकिन, जीतने के बाद गांव में कभी विधायक आए नहीं। जब कोरोना वायरस की वजह से हर तरफ परेशानी बढ़ी हुई है, ऐसे गंभीर वक्त में विधायक गांव के लोगों को देखने नहीं पहुंचे। खुद नीतीश कुमार भी नहीं आए। अब चुनाव का वक्त है तो वोट मांगने के लिए आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री के गांव के लोगों की दूसरी शिकायत
तीन साल पहले लाखों रुपए लगाकर कल्याण बिगहा में स्टेडियम बनाया गया। लेकिन, ये स्टेडियम सिर्फ नाम का है। वहां खेलने के लायक स्थिति नहीं है। ग्राउंड के नाम पर जंगल-झाड़ है। किसी प्रकार का कोई मेंटेनेंस नहीं होता है। इसकी देख-रेख करने वाला कोई नहीं है। गांव के युवाओं ने इसे लेकर कई बार नालंदा जिला के अधिकारियों से गुहार भी लगाई, लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया।
हरिनारायण सिंह से नाराजगी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर से दक्षिण में सामने में ही कपड़े सिलने की दुकान है। वहां मौजूद एक शख्स ने कहा कि हमारे गांव में कोई झांकने तक नहीं आया है। हरिनारायण सिंह हमारे विधायक हैं। कोरोना काल में एक दिन भी नहीं आए। जनता मर रही थी, उसे देखने तक नहीं आए। वोट लेने का वक्त आया तो वो अब चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं। जनता की समस्याओं और जरूरतों से विधायक को कोई लेना-देना नहीं है।
34% पक्का वोट, जीत तो तय है!
गांव के एक शख्स ने तो नीतीश की जीत की भविष्यवाणी भी कर दी और सारे समीकरण भी अंगलियों पर गिना दिए। 13-14 प्रतिशत नीतीश का कोर वोटर और करीब 20 फीसदी सवर्ण वोटरों की मदद से नीतीश की जीत बड़े आसानी से होगी। उन्होंने भरोसा जताया कि महादलितों का भी बड़ा वोट प्रतिशत भी एनडीए के हिस्से में जुड़ेगा।’ यह पूछने पर कि एलजेपी के अलग चुनाव लड़ने से नीतीश को नुकसान भी होगा। मन मसोसकर धर्मवीर ने कहा कि देखिए थोड़ा वोट कम तो होगा लेकिन जीत तो फिर भी मिलेगी।
कुर्मी टोला की राय
मंदिर के पास गांव के छह बुजुर्गों बैठकर राजनीति पर चर्चा कर रहे थे। वे सभी जाति स कुर्मी हैं, उनका मानना है कि नीतीश को छोड़कर किसी और को वोट देने वाला व्यक्ति मूर्ख ही होगा। उमेश कुमार ने कहा कि उसने इस गाँव के लिए क्या नहीं किया है? सड़क है, एक बड़ा सरकारी स्कूल है, एक आईटीआई है, एक अस्पताल है। उमेश ने कहा कि हमें याद है कि उनके मुख्यमंत्री बनाने से पहले रोड नहीं थे। जिसके चलते हमें मरीजों को चारपाई से पैदल लेजाना पड़ता था। हमें अगर सांप काट लेते थे तो यहां से 4 किलोमीटर दूर हरनौत में भी इसके इलाज की गारंटी नहीं थी। यह विकास सभी के लिए है। कल्याण बिगहा का पूरा गाँव हमेशा नीतीश कुमार को वोट देता रहेगा।
पासवान टोला ने क्या कहा
वहीं, पवन पासवान से पूछने पर कहा कि कुछ महीने पहले तक वे पटना के मीठापुर में दिहाड़ी मजदूर थे। लेकिन काम नहीं होने की वजह से वे वापस अपने गांव लौट आए हैं। पासवान ने कहा कि गरीबों की इतनी बुरी हालत कभी नहीं थी। यहां तक की गांव में भी उनके पास कोई काम नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले वे नीतीश कुमार को वोट देते थे लेकिन इस बार सारे दलित एलजेपी को वोट करेगा. कोई दलित नीतीश कुमार को वोट नहीं देगा
गांव में मिले रविदास ने क्या कहा
इस गांव में एक शख्स से मुलाकात हुई. वो दूसरे गांव का रहने वाला था और जाति से रविदास था. उससे जब वोट के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि पिछले पांच वर्षों में नीती कुमार ने गरीबों के लिए काम करना बंद कर दिया है। रविदास का कहना है कि रोड बनाया लेकिन रोड पर गाड़ियां चलती हैं इससे हमें क्या मिला? वे कहते हैं कि उन्होंने पांच किलो राशन और 1 किलो दाल दी। मेरे घर में 9 लोग हैं, लेकिन केवल 5 लोगों को मिला। बताओ, ये कब तक चलेगा? नीतीश कुमार ने किताबें दिलवाईं, लेकिन हमारे स्कूल में शिक्षक नहीं आते हैं। मैं दावे से कह सकता हूं यहां का कक्षा 9वीं का छात्र अपना नाम नहीं लिख सकता है।”
नीतीश कुमार का गढ़ है हरनौत
हरनौत विधानसभा क्षेत्र नीतीश कुमार का गढ़ है। तीन प्रयास के बाद यहीं से उन्होने 1985 में अपना पहला चुनाव जीता था। वहीं 1995 में फिर से जीत हासिल की थी। पिछले तीन बार से यहां जेडीयू के हरिनारायण सिंह जीतते आए हैं। इस बार भी हरिनारायण को यहीं से टिकट मिला है। यहां चुनाव 3 नवंबर को दूसरे चरण में होने है।