कहा जाता है ना कि.. एक अफसर अगर चाह ले तो क्या-क्या नहीं कर सकता ? कानून का डंडा हर टेढ़े को टकुए की तरह सीधा कर देता है। बस उसे चलाने की हिम्मत चाहिए।जब भ्रष्ट, निकम्मे और ढीले अफसरों की वजह से बिहार पुलिस की भद्द पिट रही है तो ऐसे में बिहार को नया मुखिया मिला है। जिससे बिहार की जनता को पूरी उम्मीद है ।
आज आपको हम बिहार के नए डीजीपी राजविंदर सिंह भट्टी के बारे में एक कहानी बताने जा रहे हैं.. जब उन्होंने फिल्मी स्टाइल में बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करावाया था.. इस पर एक फिल्म भी बनी है.. क्योंकि शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करना इतना आसान नहीं था.
शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी कितनी मुश्किल थी इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं जब भी कोशिश हुई तब कई लोगों जानें गई थी।
बाहुबली शहाबुद्दीन सीवान के सांसद थे.. कहा जाता है कि तब सीवान में शहाबुद्दीन की इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं डोलता था। आरोप लालू यादव पर लगता था कि शहाबुद्दीन को उनका संरक्षण प्राप्त है।
मामला साल 2001 का है.. जब लालू यादव रेल मंत्री थे। शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के लिए बिहार पुलिस ने एक बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया था। लेकिन इस कार्रवाई में 10 लोग मारे गये थे साथ ही पुलिस का एक जवान भी शहीद हुआ था। लेकिन बिहार पुलिस शहाबुद्दीन को पकड़ नहीं पाई थी।
शहाबुद्दीन पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे। उसकी गिरफ्तारी का वारंट निकला हुआ था। शहाबुद्दीन का टेरर अब सीवान से निकलकर दूसरे जिलों में भी फैलने लगा था. शहाबुद्दीन का नाम सुनते पुलिस वाले भी थर्राने लगते थे..
4 साल बाद यानि साल 2005 में बिहार में विधानसभा के दो चुनाव हुए थे। पहला चुनाव फरवरी 2005 में हुआ था। इस चुनाव में सीवान में पूर्व सांसद और आरजेडी नेता मो. शाहबुद्दीन का बड़ा असर दिखा था। हालांकि, इस चुनाव का रिजल्ट ऐसा था कि बिहार में सरकार किसी की नहीं बनी थी और बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा तो एक बार फिर शहाबुद्दीन के खिलाफ अप्रैल 2005 में कार्रवाई की गई.. तब सीवान के तत्कालीन डीएम सीके अनिल और एसपी रत्न संजय ने एक बार फिर शहाबुद्दीन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। लेकिन शहाबुद्दीन पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहा।
करीब 7 महीने बाद अक्टूबर 2005 में दोबारा विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ.. चुनाव आयोग ने केजे राव को पर्यवेक्षक बनाकर बिहार भेजा.. केजी राव के सामने निष्पक्ष चुनाव कराना बड़ी चुनौती थी.. ऐसे में केजे राव ने IPS अफसर राजविंदर सिंह भट्टी को खासतौर पर सीवान में पोस्टिंग की मांग कर दी..
उस वक्त कड़क IPS अफसर राजविंदर सिंह भट्टी सेंट्रल डेप्यूटेशन पर CBI में DIG के पद पर तैनात थे। लेकिन बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा था यानि केंद्र का शासन था.. ऐसे में विशेष मांग पर उन्हें बिहार लाया गया।
सीवान में SP का पोस्ट खत्म कर उस वक्त बतौर DIG राजविंदर सिंह को सीवान भेजा गया। कहा जाता है कि जब राजविंदर सिंह दिल्ली से पटना एयरपोर्ट पर पहुंचे तो एयरपोर्ट पर खुद केजे राव उनसे मिलने गए थे। केजे राव ने राजविंदर सिंह भट्टी के सामने एक ही शर्त रखी थी कि उन्हें किसी भी हाल में शहाबुद्दीन चाहिए।
अब राजविंदर सिंह भट्टी सीवान पहुंच चुके थे.. सीवान पुलिस की कमान संभालने के 15 दिन बाद ही उन्होंने शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के लिए एक स्पेशल टीम बनाया.. और सीवान का आतंक कहे जाने वाले मो. शहाबुद्दीन को गिरफ्तार किया था। आगे आपको बताते हैं कि कैसे हुई थी गिरफ्तारी और क्या था वो सॉलिड प्लान
बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के लिए IPS अफसर आरएस भट्टी ने एक सॉलिड प्लान बनाया. वे इसमें किसी तरह की की चूक नहीं चाहते थे.. वे शहाबुद्दीन का गुरुर भी तोड़ना चाहते थे.. वो दिखाना चाहते थे कि जिसके नाम का आतंक मचा है.. उसके हाथ में हथकड़ी एक महिला के पहनाएगी..
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शहाबुद्दीन का गुरूर तोड़ने के लिए आरएस भट्टी ने महिला सब इंस्पेक्टर गौरी कुमारी को ऑपरेशन की कमान सौंपी । इस ऑपरेशन को सीक्रेट रखा गया था.. आर एस भट्टी सीवान में ही बैठकर ऑपरेशन को ऑपरेट कर रहे थे। किसी को कानों खबर नहीं हुई। उधर, महिला सब इंस्पेक्टर गौरी कुमारी की टीम को दिल्ली भेज दिया ।क्योंकि शहाबुद्दीन संसद के सत्र में भाग लेने के लिए दिल्ली में थे।
5 नम्बर 2005 की रात को गौरी कुमारी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने शहाबुद्दीन के दिल्ली आवास को चारों तरफ से घेर लिया। गौरी कुमारी ने शहाबुद्दीन को अगाह किया कि वे कानून के साथ सहयोग करें वर्ना एक्शन के लिए तैयार रहें। उन्हें गिरफ्तारी का वारंट दिखाया गया।
रात के अंधेरे में शहाबुद्दीन लुंगी पहनकर घर में बैठे थे। गौरी कुमारी ने शहाबुद्दीन को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें दिल्ली की अदालत में पेश किया गया। फिर ट्रांजिट रिमांड पर लेकर 6 नवम्बर की रात को गौरी कुमारी शहाबुद्दीन को लेकर पटना पहुंची।
शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी किसी धमाके से कम न थी.. ये बात जंगल की आग की तरह फैल गई.. बिहार पुलिस के सामने कानून व्यवस्था की समस्या हो सकती थी। ऐसे में आरएस भट्टी की सलाह पर शहाबुद्दीन को हेलीकॉफ्टर से पटना से सीवान लाया गया।
गौरी कुमारी हेलीकॉप्टर से शहाबुद्दीन को लेकर सीवान पहुंची। 7 नवंबर को शहाबुद्दीन की सीवान कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। 8 नवम्बर को आरएस भट्टी ने शहाबुद्दीन को सीवान से भागलपुर जेल में शिफ्ट किया गया।
शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी से आरजेडी में खलबली मच गयी। बिहार में तब राष्ट्रपति शासन लागू था। उस समय केंद्र में यूपीए यानि कांग्रेस और उसके सहयोगी पार्टी की सरकार थी.. जिसमें लालू प्रसाद यादव की पार्टी भी शामिल थी.. आर एस भट्टी पर राजनीतिक दबाव बनना शुरू होगा.. लेकिन आरएस भट्टी झुकने को तैयार नहीं थे.. जिसके बाद उनका तबादला कर दिया गया था। लेकिन भट्टी ने ढाई महीने में ही वो कर दिया जो दस साल में नहीं हो पाया था।
इस घटना के 16 दिन बाद ही बिहार में नीतीश कुमार की सरकार का आगमन हुआ। इसके बाद शहाबुद्दीन पर कानून का शिंकजा कसता चला गया। कानून का पाठ पढ़ाने में आर एस भट्टी का कोई जवाब नहीं। वे कानून के आगे बड़े से बड़े नेता की भी परवाह नहीं करते।
शहाबुद्दीन पर आरएस भट्टी की इस कार्रवाई पर भी वेब सीरीज रंगबाज बना है.. जिसमें गौरी की जगह ज्योति का कैरेक्टर दिखाया गया है।