नरेंद्र मोदी जब से देश के प्रधानमंत्री बने हैं । तब से चाय को लेकर देश में एक अलग ट्रेंड चल चुका है.. कहीं MBA चाय वाला है.. तो कहीं इंजीयनियर चाय वाला है.. कोई ग्रेजुएट चाय वाली है.. तो कोई पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद चाय की दुकान खोल रहा है.. इन सब का एक ही मकसद है.. चाय की दुकान खोलकर रोजगार का नया जुगाड़ करना.. इसके नाम पर बिजनेस करना.. लेकिन इन सभी के बीच… बिहार के राजगीर में भी एक चाय दुकान है.. जिसकी चर्चा आज चहुंओर हो रही है.. उस दुकान का नाम श्रवण चाय दुकान है।
श्रवण चाय दुकान की चर्चा आज क्यों हो रही है? नालंदा लाइव जैसा प्रतिष्ठित न्यूज़ पोर्टल इसे जगह क्यों दे रहा है.. तो आपको बता दें कि इसके पीछे कोई विज्ञापन नहीं है.. बल्कि श्रवण चाय दुकान ने जो पिछले 33 सालों में अर्जित किया है .. ये उसकी कहानी है. तो सबसे पहले श्रवण चाय दुकान के बारे में आपको बता दें ।
बिहार के नालंदा जिला में स्थित है राजगीर.. जिसे पर्यटन नगरी के तौर पर जाना जाता है.. राजगीर ब्रह्म कुंड के लिए जाना जाता है.. जहां मलमास मेला लगता है.. खैर अब तो सैर सपाटा का हॉट स्पॉट बन गया है राजगीर.. रोपवे है.. जू सफारी है.. घोड़ा कटोरा है.. पांडु पोखर है.. वेणु वन है.. जरासंध का अखाड़ा है..ऐसे सैकड़ो पर्यटक स्थल हैं.. खैर इन सब चीजों पर चर्चा कभी और करेंगे.. आज बात श्रवण चाय दुकान की करते हैं।
राजगीर बस स्टैंड के पास साल 1990 में एक श्रवण जी ने एक छोटी सी दुकान खोली थी.. जिसका नाम उन्होंने श्रवण चाय दुकान रखा.. 1990 के दशक में चाय दुकान खोलने वाला व्यक्ति कोई पढ़ा लिखा या पैसे वाला नहीं होता था.. श्रवण जी भी ऐसे ही थे.. वे ना तो पढ़े लिखे थे और ना ही पैसा था.. परिवार की जीविका चलाने के लिए उन्होंने चाय की दुकान खोली..
दुकान बस स्टैंड के पास था.. तो लाजिमी है.. भीड़ भी होने लगी.. उनकी दुकान भी चल पड़ी.. परिवार का पूरा खर्च चाय दुकान से निकलने लगा.. लेकिन इस बीच उन्होंने एक बड़ा मिशन उठाया.. कि नवजात बच्चे से लेकर 18 महीने यानि डेढ साल के बच्चे तक को पीने के लिए गाय का दूध वो मुफ्त में देंगे..
ये विचार उनके मन में इसलिए आया कि शहर में कई ऐसे गरीब परिवार थे. जो अपने बच्चों को दूध पिलाने में सक्षम नहीं थे.. इसके बाद उन्होंने अपने दुकान के साइन बोर्ड पर लिखवा दिया कि यहां शून्य से 18 महीने तक के बच्चों को मुफ्त में गाय की दूध मिलती है.. उस दिन से ही उनकी समाज सेवा शुरू हो गई..
साल 2000 में श्रवण जी का निधन हो गया.. जिसके बाद उनके छोटे भाई रंजीत कुमार उर्फ टुन्ना बाबा ने दुकान की जिम्मेदारी संभाली और उन्होंने अपने बड़े भाई के मिशन को आगे बढ़ाया और आज भी वो डेढ़ साल तक के बच्चे को मुफ्त में गाय का दूध पीने के लिए देते हैं..
नालंदा लाइव से खास बातचीत में रंजीत कुमार उर्फ टुन्ना जी ने बताया कि वो पांचवीं छठी तक ही पढ़े लिखे हैं.. लेकिन वो सामाजिक मूल्यों को जानते हैं.. जब नालंदा लाइव ने पूछा कि आप रोजाना कितने लीटर दूध मुफ्त में बांटते हैं.. तो उनका कहना था कि सर रोजाना 3 से 4 लीटर दूध बांट देते हैं.. लेकिन जब मलमास मेला लगता है तो यहां भीड़ काफी होती है.. उस दौरान वो रोजाना 10 से 15 लीटर गाय का दूध मुफ्त बांटते हैं ।
खास बात है ये है कि इसके लिए वो किसी की मदद भी नहीं लेते हैं.. वे अपनी दुकान की कमाई के एक हिस्से ही बांट देते हैं.. उनका कहना है कि मेरे दुकान से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटा है..
नालंदा लाइव ने जब उनसे पैसे को लेकर पूछा कि आप हर महीने करीब 10 हजार रुपए समाजसेवा पर खर्च कर देते हैं तो आपका परिवार कैसे चलता है। तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया कि साहब पैसे लेकर कहां जाना है । ऊपर वाले की कृपा से और गरीबों के आशीर्वाद से बच्चे भी पाल रहे हैं और कोई चीज की कमी भी नहीं है । उन्होंने कहा कि उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं और सभी को वो यही संस्कार देने की कोशिश कर रहे हैं
रंजीत कुमार उर्फ टुन्ना जी की इस सराहनीय कदम की नालंदा लाइव प्रशंसा करता है.. और उनके द्वारा उठाए गए नेक कदम को सैल्यूट करता है। साथ ही पूरे जिला को श्रवण जैसे बेटे पर नाज है । जिन्होंने इस तरह का बीड़ा उठाया ।