पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है। भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की तादाद रोजाना बढ़ती जा रही है । ऐसे में यूनिसेफ की आशंका चिंता पैदा करने वाली है । संयुक्त राष्ट्र संगठन की एजेंसी यूनिसेफ ने आशंका जताई है कि भारत में अगले छह महीनों में पांच साल से कम उम्र के तीन लाख बच्चों की मौत हो सकती है. खास बात ये है कि इन आंकड़ों में उन बच्चों की मौत को शामिल नहीं किया गया है जिनकी मौत कोरोना की वजह से होगी
भारत सबसे ज्यादा प्रभावित होगा
यूनिसेफ़ के मुताबिक पूरे दक्षिण एशिया में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का आंकड़ा चार लाख 40 हज़ार तक पहुंच सकता है. इनमें सबसे ज़्यादा मौतें भारत में ही होने का अनुमान लगाया गया है. यूनिसेफ़ के अनुमान के मुताबिक़ भारत के बाद पाकिस्तान में मौतों का आँकड़ा सबसे ज़्यादा रहने वाला है. पाकिस्तान में 95 हज़ार, बांग्लादेश में 28 हज़ार, अफ़ग़ानिस्तान में 13,000 और नेपाल में चार हज़ार बच्चों की जान जा सकती है.
क्यों हो सकती है मौतें
यूनिसेफ़ का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण मेडिकल सप्लाई चेन में बाधा आ रही है. साथ ही मानव और वित्तीय संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है. लॉकडाउन, कर्फ़्यू और परिवहन पर रोक के कारण स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में लोग कम जा रहे हैं. लोगों को संक्रमण होने का ख़तरा भी महसूस हो रहा है. साथ ही टीकाकरण को रोक दिया गया है ।
कोरोना की वजह से टीकाकरण में देरी
दरअसल, कोरोना की वजह से लोग डॉक्टर के पास जाने से डर रहे हैं. साथ ही ख़ुद डॉक्टर्स ने अपने क्लीनिक बंद किए हुए हैं. जन्म के पहले साल में लगने वाले टीके बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. टीकाकरण में एक सीमित समय तक देरी तो चल सकती है लेकिन उसके बाद टीका लगाना अनिवार्य हो जाता है.
यूनिसेफ की रिपोर्ट में क्या है
यूनिसेफ की रिपोर्ट में है कि कोविड-19 के कारण परिवार नियोजन, प्रसव, प्रसव से पहले और प्रसव के बाद की देखभाल, टीकाकरण और उपचारात्मक सेवाओं में रुकावट आ रही है. पोषण में कमी और जन्मजात सेप्सिस और निमोनिया के उपचार में कमी सबसे ज़्यादा बाल मृत्यु का कारण बनेंगे. बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी इस चुनौती से निपटने के लिए यूनिसेफ़ ने इस हफ़्ते #Reimgine नाम से एक अभियान शुरू किया है. यूनिसेफ़ ने सरकारों, जनता, दानदाताओं और निजी क्षेत्र से इस अभियान से जुड़े की अपील की है.