बिहारशरीफ सदर अस्पताल के डॉक्टर समेत 14 अस्पताल कर्मियों पर गिरी गाज.. अस्पताल में चल रहा था बड़ा रैकेट.. जानिए पूरा मामला

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बिहारशरीफ सदर अस्पताल में चल रहे बड़े गोरखधंधा का भंडाफोड़ हुआ है। जिसके बाद नालंदा के डीएम शशांक शुभंकर ने अस्पताल के डॉक्टर समेत 14 अस्पतालकर्मियों पर कार्रवाई की है । खास बात है कि जिस डॉक्टर पर एक्शन किया गया है वो डॉक्टर सेना में भी अपना योगदान कर चुके हैं.. लेकिन अब वो यहां गोरखधंधे में शामिल हैं। नालंदा के डीएम ने बिहारशरीफ के डॉक्टर मेजर अंजय कुमार के खिलाफ एक्शन के आदेश दिए हैं ।

बड़े रैकेट का भंडाफोड़
बताया जा रहा है कि जब भी कोई मरीज सदर अस्पताल में भर्ती होता है.. तो वहां तैनात डॉक्टर और अस्पतालकर्मियों की पहली प्राथमिकता होती है कि किसी तरह से बहला फुसलाकर या भी परिजनों को मरीज की बीमारी का भय दिखाकर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करना होता है। इसके बदले में जब मरीज उस प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होता है.. तो बदले में उसे कमीशन के तौर पर मोटी रकम मिलती है .. और उसी मोटी रकम के चक्कर में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाता है ।

जांच के बाद एक्शन
अस्पताल में चल रहे गोरखधंधे की शिकायत किसी ने पटना की निगरानी समिति को की.. जिसके बाद नालंदा के डीएम ने जांच समिति का गठन किया.. डीएम शशांक शुभंकर और डीडीसी खुद सदर अस्पताल पहुंचे और मामले की जांच की।

जांच में ये बात सामने आई कि 18 जनवरी को कतरीसराय की रहने वाली गुड्डी देवी ने नवजात को जन्म दिया । बच्चे को सदर अस्पताल के SNCU में भर्ती कराने की जगह उसे श्रवण कुमार मेमोरियल शिशु अस्पताल भेजा गया।
एक और मामला 20 जनवरी को भी सामने आया जब बिहार शरीफ के विभा कुमारी के नवजात बच्चे को भी सदर अस्पताल के SNCU में भर्ती कराने की जगह उसे श्रवण कुमार मेमोरियल शिशु अस्पताल भेजा गया।

जांच में डॉक्टर मेजर अंजय कुमार की संलिप्तता भी सामने आई क्योंकि मरीजों को जिस श्रवण कुमार मेमोरियल शिशु अस्पताल में भर्ती कराया गया वो हॉस्पीटल भी मेजर अंजन कुमार का ही है । जिसके बाद जिलाधिकारी ने SNCU में कार्यरत डॉक्टर मेजर अंजय कुमार के खिलाफ सिविल सर्जन को प्रपत्र ‘क’ गठित करने का निर्देश दिया । साथ ही मरीज के इलाज में जो 50 हजार रुपए प्राइवेट अस्पताल ने वसूले थे । उसे संबंधित परिजन को लौटाने का आदेश दिया गया है ।

दरअसल, 17 जनवरी को अस्थावां थाना क्षेत्र के मोल्लाबीघा गांव के रहने वाले युवराज कुमार की पत्नी दिव्या कुमारी को प्रसव पीड़ा के बाद सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ऑपरेशन के जरिए नवजात का जन्म हुआ। लेकिन नवजात की तबीयत खराब होने पर उसे SNCU में भर्ती कराने को कहा गया.. लेकिन एक आशाकर्मी ने परिजन को बहला फुसलाकर नवजात को जबरन रांची रोड स्थित एक प्राइवेट क्लीनिक में भर्ती करा दिया । जहां 21 जनवरी को नवजात की मौत हो गई। जिसके बाद किसी ने इस बात की शिकायत पटना की निगरानी समिति को कर दी।

इस मामले में सदर अस्पताल के डॉक्टर मेजर अंजय कुमार के अलावा जिन आशाकर्मियों पर गाज गिरा है । उसमें रहुई प्रखंड के डीहरा गांव की रिंकू देवी, बिहार शरीफ के मनीचक गांव की सन्नू कुमारी, नूरसराय के करण बिगहा की सुनीता सिन्हा, रहुई प्रखंड के चुरामन विगहा गांव की मिंता देवी, बिहारशरीफ की रंजू देवी, सोहसराय की प्रीति कुमारी, बरतर की अंजू कुमारी,नौबतपुर की इंदु कुमारी, भागन बिगहा की फूला देवी, समस्ती गांव की शोभा कुमारी और छतरपुर गांव की पिंकू राय है। सभी को आशाकर्मियों को चयन मुक्त कर दिया गया है । साथ ही इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है । इसके अलावा SNCU में तैनात गार्ड हरेंद्र कुमार और लेबर रूम में ड्यूटी पर तैनात सनम देवी, टुन्नी देवी के विरुद्ध भी सेवा मुक्ति की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ ही एक साल तक के पुराने गार्ड को बदलने का निर्देश दिया गया है। इतना ही नहीं नालंदा के डीएम ने सिविल सर्जन से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है कि बच्चों को सदर अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में रेफर क्यों किया गया.. क्या सदर अस्पताल में नवजात के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं थी ।

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