
नालंदा जिले में नियमों को ताक पर रखकर दवा की दुकान चलाने वालों पर शिकंजा कस गया है । नालंदा जिला में ऐसे 20 दुकानों का लाइसेंस रद्द हो गया है और जल्द ही कई बड़े दुकान इसकी चपेट में आ सकते है . दरअसल, दवा दुकान के लाइसेंस के लिए फार्मासिस्ट का होना जरूरी है। इसके लिए लाइसेंस लेने वालों ने जुगाड़ तकनीक अपना रखा है।लेकिन जुगाड़ वाले इन दुकानों पर अब लाइसेंस रद्द होने का खतरा मंडराने लगा है
क्या है नया नियम
नये नियम के मुताबिक अब एक फर्मासिस्ट के लाइसेंस पर एक ही दुकान चल सकती है। इसके लिए विभाग द्वारा लाइसेंस के लिए दिये गये आवेदन के साथ संलग्न फर्मासिस्ट के सर्टिफिकेट का ऑन लाइन सत्यापन कराया जा रहा है। पहले एक सर्टिफिकेटे पर कई दुकानें चलती थी.
किन 20 दुकानों का लाइसेंस रद्द हुआ
नालंदा जिला में सर्टिफिकेट की वजह से जिन 20 दुकानों का लाईसेंस रद्द कर दिया गया है। उसमें
फार्मास्यूटिकल प्लस एजेंसी बिहारशरीफ, मदीना मेडिकल हॉल बिहारशरीफ, दुर्गा मेडिकल हॉल अम्बेर,सुधीर फार्मा पुलपर, मांती मेडिकल्स जलालपुर, भारत रंजन मेडिकल हॉल अम्बेर, बिहार ड्रग भरावपर, उत्तम मेडिसीन बिहारशरीफ,चंदन फार्मा राजगीर,जगदाना मेडिकल हॉल राजगीर, परी मेडिकल हॉल सिलाव, शिमला मेडिकल हॉल सिलाव, न्यू विकास मेडिकल हॉल तेल्हाड़ा, चांद फार्मा पावापुरी, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केन्द्र नूरसराय के अलावा 4 अन्य दुकान शामिल है।
नालंदा में 1102 दवा दुकानें
नालंदा जिला में 1102 दवा दुकानें संचालित हो रही है। जिसमें एलोपैथ की 285 थोक, 692 खुदरा, 2 खुदरा एवं थोक, 42 प्रतिबंधित दवा दुकान है। होमियोपैथ में 25 थोक, 31 खुदरा, 5 थोक व खुदरा दुकान संचालित है।
692 दुकानों को फर्मासिस्ट की जरूरत
नए नियम के अनुसार जिले में 692 दुकानों को भी फर्मासिस्ट की जरूरत है। थोक और प्रतिबंधित दुकानों को फर्मासिस्ट की जरूरत नहीं है लेकिन खुदरा दवा दुकानों के लिए अनिवार्य है। खुदरा दुकानों में ही यह देखना पड़ता है कि चिकित्सक द्वारा लिखी गयी दवा के कंबिनेशन और डोज में कोई चूक तो नहीं है। सूत्र बताते हैं कि जिले के कुछ दुकानों में ही फर्मासिस्ट है जो खुद की दुकान चला रहे हैं। और किसी दुकान पर फर्मासिस्ट नहीं बैठते हैं। सिर्फ सर्टिफिकेट दिखाकर दुकान चलाया जा रहा है।
रिन्यूअल के दौरान होगी जांच
दुकान के लाइसेंस का रिन्यूअल कराने के दौरान सर्टिफिकेट की जांच हो जायेगी। औषधि नियंत्रक ने बताया कि जैसे ही रिन्यूअल कराने आये दुकानदार किसी फर्मासिस्ट का सर्टिफिकेट जमा करेंगे और उसका क्रमांक ऑनलाइन इंट्री करेंगे वैसे ही उस सर्टिफिकेट पर और कोई दुकान चल रही है या नहीं पता चल जायेगा। उन्होंने बताया कि यदि उस सर्टिफिकेट पर कोई दुकान चल रही होगी तो ऑन लाइन इंट्री नहीं हो पायेगी।
फर्मासिस्ट बदलने के लिए दे रहे आवेदन
नये नियम लागू होने के बाद दवा दुकानदार भी अपना अपना फर्मासिस्ट बदलने के लिए कार्यालय में आवेदन दे रहे हैं। अभी तक 15 दुकानदारों ने आवेदन दिया है। औषधि नियंत्रक ने बताया कि हर हाल में सभी दुकानदारों को फर्मासिस्ट बदलने के लिए आवेदन देना होगा नहीं तो रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल के समय रद्द कर दिया जाएगा।एक फार्मासिस्ट के नाम पर कई जिले में दुकान जिले में संचालित 60 प्रतिशत ऐसे दुकान है जिसके निबंधन में दूसरे जिलों के फार्मासिस्ट का सर्टिफिकेट दिया गया है। इतना ही नहीं एक फार्मासिस्ट के नाम पर कई दुकान विभिन्न जिलों में संचालित हो रहा है।
फार्मासिस्ट ने बढ़ाया किराया
पहले एक से ज्यादा दुकान रहने के कारण 4-5 हजार रूपया सालाना फार्मासिस्ट को किराया देना पड़ता था। लेकिन नए नियमों के बाद सालाना वाला किराया अब मासिक कर दिया गया है। इस कारण भी दुकानदारों को सोचना पड़ रहा है। अब 5-6 हजार रूपया प्रति महीना मांग की जा रही है।