दिल्ली विश्वविद्यालय समेत देश के तमाम यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए कटऑफ की होड़ अगले साल से रुक जाएगी। दरअसल, नई शिक्षा नीति में स्नातक प्रोग्राम में दाखिले संयुक्त प्रवेश परीक्षा से करने का प्रस्ताव है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी सभी विश्वविद्यालयों के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा करवाएगी। इसकी मेरिट पर ही विवि और कॉलेज दाखिला देंगे।
क्या है सरकार की दलील
सरकार का मानना है कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों को पढ़ाई और शोध कार्यों पर फोकस करना चाहिए। इसलिए परीक्षा या प्रवेश परीक्षा जैसे काम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से करवाने चाहिए। इससे गुणवत्ता बढ़ेगी, समय और धन भी बचेगा। अभी एक छात्र को दाखिले के लिए पांच से दस विवि का फॉर्म भरना पड़ता है। कहीं 12वीं के अंकों के आधार पर तो कहीं प्रवेश परीक्षा से दाखिला होता है।
सभी विवि-कॉलेजों में दूरस्थ पढ़ाई
उच्च शिक्षा अधूरी छोड़ने (Dropout) से रोकने के लिए सभी विवि और कॉलेजों में दूरस्थ माध्यम (Open and Distance Learning) से पढ़ाई शुरू होगी। अभी तक विवि अनुदान आयोग (UGC) नैक एक्रिडिटेशन में मिले स्कोर और अन्य मानकों के आधार पर कुछ संस्थानों को दूरस्थ शिक्षा को मंजूरी देता है।
स्नातक अनुपयोगी कोर्स होंगे बंद
सरकार स्नातक स्तर पर ऐसे विषय खत्म करेगी, जिसकी उपयोगिता नहीं है। नालंदा-तक्षशिला की तर्ज पर एक विषय की जगह बहु-विषयक डिग्री कोर्स शुरू होंगे। यानी लॉ, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी आदि के विवि या कॉलेजों में विभिन्न विषयों की पढ़ाई होगी। उच्च शिक्षण संस्थानों को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में रिसर्च और पढ़ाई पर फोकस होगा। जबकि हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन क्लस्टर में छोटे कॉलेजों को मिलकर बड़ा कॉलेज या विश्वविद्यालय बना सकेंगे।
व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देंगे
विभिन्न विषयों में दक्षता और क्षमता के आधार पर पढ़ाई करवाई जाएगी। ज्ञान के साथ कौशल विकास पर जोर रहेगा, ताकि रोजगार के मौके मिलें। एमफिल प्रोग्राम खत्म होगा और पीएचडी पाठ्यक्रम नए सिरे से तय होगा। आईआईटी, आईआईएम की तरह अमेरिका की तर्ज पर मॉडल पब्लिक विवि बनेंगे, जो लिबरल एजुकेशन की पढ़ाई करवाएंगे। व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।