महाभियोग क्या है ? जजों को हटाने की प्रक्रिया क्या है ?.. जानिए

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सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश को उनके पद से संविधान के अनुच्छेद 124 (4) में वर्णित न्यायधीश जांच अधिनियम 1968 के तहत हटाया जा सकता है। आम बोल चाल की भाषा में इसे महाभियोग कहते हैं लेकिन संविधानविद सुभाष कश्यप के मुताबिक इसे महाभियोग नहीं कहा जाता है बल्कि इसे महाभियोग जैसी प्रक्रिया बोला जाता है । महाभियोग सिर्फ राष्ट्रपति के खिलाफ लाया जाता है जिसका वर्णन संविधान के अनुच्छेद 61 में किया गया है । लेकिन आज बात सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों या चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को उनके पद से हटाने वाली महाभियोग जैसी प्रक्रिया को लेकर करते हैं ।

उच्चतम न्यायलय के न्यायधीशों पर महाभियोग ( impeachment against CJI or Justice Of Supreme Court) 

सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश को उनके पद से कदाचार या असमर्थता के आधार पर संविधान में विहित प्रक्रिया के मुताबिक हटाया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद के 124 (4) में वर्णित न्यायधीश जांच अधिनियम 1968 में उच्चतम न्यायलय ( Supreme Court ) के चीफ जस्टिस या अन्य न्यायधीशों को उनके पद से हटाने का प्रावधान किया गया है। जिसमें एक प्रस्ताव लाकर राष्ट्रपति से उन्हें हटाने की प्रार्थना की जाती है। अगर ये प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाना हो तो उस पर लोकसभा के कम से कम 100 सदस्यों का और यदि राज्यसभा में लाना हो तो राज्यसभा के कम से कम 20 सदस्यों का हस्ताक्षर होना चाहिए।

अगर ये प्रस्ताव लोकसभा में लाया गया है तो लोकसभा अध्यक्ष पर ये निर्भर करता है कि इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं या अस्वीकार करते हैं । और अगर राज्यसभा में लाया गया है तो राज्यसभा के सभापति पर निर्भर करता है कि प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या अस्वीकार

अगर लोकसभा अध्यक्ष या सभापति प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं तो इसके लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा ।

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तीन सदस्यीय कमेटी में कौन-कौन रहेंगे
. सु्प्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश या न्यायधीशों में एक से होगा
ख. किसी भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस में से एक
ग. कोई कानूनविद होंगे ।
अगर ये तीन समिति न्यायधीश को दोषी पाती है तो उस सदन इस प्रस्ताव पर विचार होगा । उसके बाद उसी सदन में (जिसमें ये प्रस्ताव लाया गया है) वोटिंग करायी जाएगी । जिसमें सदन में मौजूद सदस्यों की दो तिहाई बहुमत या सदन के कुल सदस्यों के आधे से एक ज्यादा का बहुमत से इसे पारित होना होगा । इसके बाद इसे दूसरे सदन में भेजा जाएगा। वहां भी इस प्रस्ताव को सदन में मौजूद सदस्यों की संख्या के दो तिहाई बहुमत या सदन के कुल सदस्यों के आधे से ज्यादा बहुमत से इसे पारित होना होगा ।
इसके बाद इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है । उसके बाद राष्ट्रपति न्यायधीश को हटाने का आदेश जारी कर देते हैं

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