नालंदा की एक बेटी की BPSC की नौकरी खतरे में है और इसके लिए जिम्मेदार सिस्टम है । बड़ी मेहनत से बिहारशरीफ की निकिता ने BPSC की 64वीं संयुक्त परीक्षा में सफलता हासिल की । लेकिन मगध यूनिवर्सिटी की लापरवाही की वजह से निकिता सिन्हा की नौकरी खतरे में पड़ गई है । निकिता सिन्हा के साथ जो हुआ है वैसा बिहार के कई छात्रों के साथ होता रहा है । लेकिन सबसे शर्मिंदगी उस अफसर के बयान पर आ रहा है जिसने कहा कि हम क्या कर सकते हैं केस लड़ो।
क्या है पूरा मामला
निकिता सिन्हा ने मगध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। इसका सर्टिफिकेट भी मिला। लेकिन उसमें हिंदी और अंग्रेजी के नाम में अक्षरों का अंतर था। इसे ठीक कराने के लिए वो पिछले नौ माह से यूनिवर्सिटी आ-जा थीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब BPSC ने सफलता के बावजूद इनका रिजल्ट पेंडिंग में डाल दिया है। वजह सर्टिफिकेट में नामों का अंतर है।
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अफसर से मिलीं तो झाड़ पिलाया
निकिता सिन्हा का का कहना है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से यहां तक कहा कि यदि समय पर सर्टिफिकेट नहीं मिला तो BPSC की नौकरी चली जाएगी। इससे अच्छा है कि यूनिवर्सिटी, आयोग के अधिकारियों से बातचीत कर मेरी मदद करे। लेकिन उनपर कोई असर नहीं पड़ा। एक ने तो बड़ी बेशर्मी से कहा कि हम कर ही क्या सकते हैं। तुम्हें छांटने का आयोग को मौका मिला तो छांट दिया। अब केस लड़ो।
अगर नौकरी गई तो कौन जिम्मेदार
निकिता सिन्हा बिहारशरीफ के खंदकपर की रहनेवाली हैं। उनका BPSC में रोल नंबर 442402 है। मगध यूनिवर्सिटी मुख्यालय आई तो अपना हाल बताते-बताते फफक पड़ी। कहती हैं कि पहले से ही हमने अपने मां-बाप को खो दिया। कड़ी मेहनत कर उठ कर खड़ी हुई तो यूनिर्वसिटी ने रही-सही कसर पूरी कर दी। अब कहां जाएं। निकिता का कहना है कि यदि BPSC में फेल हुए होते तो फिर से संघर्ष करने के लिए उठ खड़े हो जाते पर अब तो सब कुछ हाथ में आकर निकल गया। मेहनत व किस्मत ने दिया पर यूनिवर्सिटी ने छीन लिया।
निकिता अकेली नहीं, 17 और ऐसे मामले
बताया जा रहा है कि निकिता सिन्हा जैसी 17 और भी छात्र-छात्राएं हैं, जिनका BPSC में चयन तो हो गया है लेकिन सर्टिफिकेट में तमाम गड़बड़ियां हैं। इन्हें अब तक दुरुस्त नहीं किया जा सका है।