राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने पटना यूनिवर्सिटी के स्नातकोत्तर शिक्षा विभाग (M.Ed) सहित बिहार के 5 बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। एनसीटीई रेगुलेशन 2014 के अनुरूप इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं होने के कारण पटना यूनिवर्सिटी के स्नातकोत्तर शिक्षा विभाग की मान्यता रद्द कर दी गई है।
अगले साल M.Ed में नहीं होगा एडमिशन
पटना यूनिवर्सिटी में साल 2020-21 सत्र से एमएड का एडमिशन नहीं हो सकेगा। स्नातकोत्तर शिक्षा विभाग में दो वर्षीय एमएड कोर्स की पढाई की जाती है। जिसमें हर साल 50 सीटों पर दाखिला होता है।
विभागाध्यक्ष ने जताई आपत्ति
एनसीटीई के फैसले से पटना यूनिवर्सिटी के एमएड विभाग के अध्यक्ष प्रो. खगेन्द्र कुमार ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर मान्यता रद्द की गई है। एनसीटीई को जानकारी नहीं है कि एमएड का अलग कोर्स चलाया जाता है। इसमें बीएड साथ नहीं चलता है। साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि एमएड कोर्स के लिए दो प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर और छह असिसटेंट प्रोफेसरों की जरूरत होती है। सिर्फ पटना यूनिवर्सिटी के शिक्षा विभाग में ही शिक्षकों की संख्या पूरी है।
चार बीएड कॉलेज की मान्यता रद्द
एनसीटीई ने चार अन्य बीएड कॉलेजों की मान्यता भी रद्द कर दी है। इनमें कई अलग-अलग तरह की समस्याओं की जानकारी दी गई है। इनमें कई कॉलेजों में शिक्षकों की कमी तो किसी में इंफ्रास्ट्रक्चर को आधार बनाया गया है। इन चारों कॉलेजों में सत्र 2020-21 से छात्र बीएड पाठ्यक्रम में नामांकन नहीं ले सकेंगे।
ये कॉलेज हैं :
1. रामबरन राय बीएड कॉलेज, भगवानपुर, वैशाली बीएड
2. कमला भुवनेश्वर बीएड कॉलेज, तेघड़ा, बेगूसराय बीएड
3. कॉलेज ऑफ टीचर्स एजुकेशन, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, दरभंगा बीएड
4. एमएस इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, पटना बीएड