
बिहारशरीफ में दूसरे के बदले परीक्षा देने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है । जो पैसे लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं में दूसरे छात्र के बदले परीक्षा देता था। पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत 6 युवकों को गिरफ्तार किया है । इन्हें बिहारशरीफ के एतवारी बाजार मोड़ से गिरफ्तार किया गया है .
दूसरे के बदले दिया था UPTET की परीक्षा
8 जनवरी को ये सभी स्कॉलर दूसरे छात्रों के बदले UPTET यानि उत्तरप्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल हुए थे. ये सभी स्कॉर्पियो रिजर्व कर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जाकर परीक्षा दी. उसके बाद वे वापस बिहारशरीफ लौट रहे थे । किराए का स्कॉर्पियो जहानाबाद के घोसी थाना के दैडीह गांव का चंदन कुमार चला रहा था। उसे भी गिरफ्तार किया गया है
कैसे हुई गिरफ्तारी
दरअसल, गुरुवार की सुबह बिहार थाना पुलिस एतवारी बाजार के पास वाहनों की जांच कर रही थी। पुलिस ने उनकी स्कॉर्पियो भी रोकी और पूछताछ करने लगी। एक सिपाही की नजर गाड़ी में रखे थर्मस पर पड़ी, संदेह होने पर उसे खोलकर देखा तो उसमें शराब मिली। इसके बाद पुलिस ने सभी वाहन सवारों की सघन तलाशी ली, जिसमें 50 हजार रुपए नकद, 9 मोबाइल, उत्तरप्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा से संबंधित दस्तावेज, वास्तविक अभ्यर्थियों के मतदाता पहचान पत्र और अन्य फर्जी दस्तावेज मिले। पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो सारे लोग टूट गए और पूरे खेल से पर्दा उठ गया। इस छापेमारी में बिहार थानाध्यक्ष दीपक कुमार, दारोगा श्रीमंत कुमार सुमन और रितुराज शामिल थे।
कौन-कौन सेटर गिरफ्तार
बिहार थाना पुलिस ने छह मुन्ना भाइयों को गिरफ्तार किया है. जिन छह मुन्ना भाइयों को गिरफ्तार किया गया है । उसमें गिरोह का सरगना अजीत कुमार भी शामिल है. जो पटना जिला के बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के लखीपुर गांव का रहने वाला है । इसके अलावा नालंदा जिले के कतरीसराय थाना क्षेत्र के बादी गांव का रहने वाला विकास गौतम,एकंगरसराय थाना क्षेत्र के निश्चलगंज का गौरव कुमार, नवादा जिला के पकरीबरावां के मठगुलनी का विकास कुमार, शेखपुरा जिले के पांची गांव का सुभाष कुमार को गिरफ्तार किया गया है ।
कोचिग के नाम पर चलाता था सेटिग का धंधा
पकड़े गए पांच स्कॉलरों में दो नालंदा जिले के वाशिदे हैं। इनमें विकास गौतम बिहारशरीफ स्थित धनेश्वरघाट मोहल्ला में रिजनिंग की कोचिग चलाता है। उसकी कोचिंग के छात्र-छात्राओं को भी इसी तरह परीक्षा पास करने का भरोसा दिया जाता होगा। डीएसपी इमरान परवेज ने बताया कि विकास ने अजीत के साथ मिलकर गिरोह बनाया। ड्राइवर चंदन भी अक्सर इस गिरोह के साथ में कहीं जाता था। 12 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से भाड़ा लेता था। वो अजीत के सम्पर्क में था।
किसके बदले दी थी परीक्षा
डीएसपी ने बताया कि गोरखपुर के जिन 5 लोगों के बदले स्कॉलर परीक्षा में बैठे थे। उनकी गिरफ्तारी के लिए नालंदा पुलिस जल्द ही गोरखपुर रवाना होगी। डीएसपी ने बताया कि सही परीक्षार्थी पंकज मिश्रा, विजेंद्र शुक्ल, जैसराज यादव, दिव्जेंद्र कुमार पांडेय और ओमप्रकाश हैं। उनके पहचान पत्र मिल गए हैं। वहां की पुलिस की मदद से वे सभी जल्द गिरफ्तार किए जाएंगे। उनसे ही पता चलेगा कि वे लोग परीक्षा दिलाने के लिए नालंदा के स्कॉलर के सम्पर्क में कैसे आए। परीक्षार्थियों और स्कॉलरों की बीच की कड़ी अहम है। जिसका पता लगाया जाएगा। उम्मीद है, कई अन्य परीक्षाओं में फर्जीवाड़े की कलई खुले।
थर्मस की शराब से गहराया संदेह
डीएसपी ने बताया कि वाहन चेकिग के दौरान अगर बदमाशों के पास से थर्मस में शराब नहीं मिलती तो शायद इस खेल का खुलासा नहीं होता। शराब मिलने के बाद स्कॉर्पियो में बैठा एक युवक यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा के वास्तविक परीक्षार्थियों के लैमिनेटेड मतदाता पहचान पत्रों को फाड़ने की कोशिश करने लगा। उसकी इसी करतूत से पुलिस का संदेह गहरा गया। कड़ाई से पूछताछ की गई तो सारा माजरा समझ में आया।
प्रति परीक्षार्थी एक लाख में हुई थी डील
डीएसपी इमरान परवेज के मुताबिक परीक्षा में बैठने के बदले प्रति परीक्षार्थी एक लाख रुपए में डील हुई थी। जिसमें सभी पांचों परीक्षार्थियों से 15-15 हजार रुपए एडवांस मिले थे। गिरोह का सरगना पढ़ाई में शानदार विद्यार्थियों को आसानी से रुपए कमाने का लालच देकर गिरोह में शामिल करता है। प्रतिभा का मूल्यांकन करके उनसे दूसरों के बदले परीक्षाएं दिलाता है। ये लोग एक-दूसरे के नाम का कम इस्तेमाल करते हैं। स्कॉलर कहते हैं। डील की रकम का आधा स्कॉलर को दिया जाता है। शेष आधे में सरगना आने-जाने का खर्च, फर्जी दस्तावेज बनाने का खर्च वहन कर अपना हिस्सा रखता है। आसानी से रुपए मिलने पर स्कॉलरों का दुस्साहस बढ़ने लगता है, तब वे अपनी नहीं, बल्कि दूसरों को नौकरी कराने के लिए पढ़ाई करने लगते हैं। ये लोग देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाले परीक्षाओं में रुपए लेकर दूसरे के बदले बेधड़क बैठते हैं।