काफी राजनीतिक उठापटक के बीच आखिरकार महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग हीं गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को मंजूरी दे दी।
राज्यपाल ने की थी राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आज केंद्र सरकार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी। राज्यपाल द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने देखा कि महाराष्ट्र में विधान चुनाव को बीते हुए 15 दिन हो चुके हैं और कोई भी राजनीतिक पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, ऐसे में राज्य में राष्ट्रपति शासन ही बेहतर विकल्प है।
महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया था
गौरतलब है कि बहुमत के आंकड़े के आभाव में महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया था। हालांकि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था।
राज्यपाल ने भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को दिया था न्योता
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बारी-बारी से भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था। सबसे पहले 9 नवंबर को राज्यपाल ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का न्योता दिया, इसके जवाब में भाजपा ने कहा कि उसके पास संख्या मौजूद नहीं है। भाजपा के बाद इसके बाद 10 नवंबर को दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता दिया, इसके लिए शिवसेना ने 48 घंटे का समय मांगा था, जिसे राज्यपाल ने इनकार कर दिया। शिवसेना के बाद 11 नवंबर को एनसीपी को भी राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता दिया था।
शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए राज्यपाल द्वारा 48 घंटे का समय नहीं दिए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शिवसेना ने आज सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल के समय न देने के फैसले के खिलाफ एक याचिका दायर की है। ध्यान रहे कि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में भाजपा को 105 सीटें, शिवसेना को 56 सीटें, एनसीपी को 54 सीटें, जबकि कांग्रेस को 44 सीटें मिली मिली है।