नालंदा जिला में लगता है सरकारी विभागों को कानून तोड़ने की परमिट मिल गई है . तभी तो, बिहारशरीफ नगर निगम (Bihar Sharif Nagar Nigam) की गाड़ियां बिना नंबर प्लेट या बिना रजिस्ट्रेशन के सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रही है. इन गाड़ियों पर न तो कभी ट्रैफिक पुलिस की नजर पड़ी है और न हीं कभी परिवहन विभाग ने चालान काटा . सोचिए अगर ये किसी प्राइवेट गाड़ी होती तो तुरंत जब्त हो जाता या चालान काट दिया जाता. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर डीटीओ साहब कार्रवाई क्यों नहीं करते. क्या वो डरते हैं या उन्हें जानकारी ही नहीं है. इसे पढ़ने के बाद साफ हो जाएगा कि आखिर डीटीओ साहब की कार्रवाई करने की हिम्मत क्यों नहीं होती है
क्या है पूरा मामला
बिहारशरीफ नगर निगम की सारी गाड़ियां शहरी क्षेत्र में बिना रजिस्ट्रेशन और परमिट के सड़कों पर घूम रही हैं। हालत ये है कि बिहारशरीफ में तीन तीन नगर आयुक्त बदल गए लेकिन अब तक किसी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पाया और न हीं किसी जिला परिवहन पदाधिकारी ने हिम्मत दिखाई की इन गाड़ियों का चालान काटा जा सके.
परिवहन विभाग को हो रहा है घाटा
बिना रजिस्ट्रेशन की गाड़ियां चलने की वजह से जिला परिवहन विभाग को हर राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. लेकिन इसके बावजूद अब तक बिहारशरीफ नगर निगम की किसी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया गया है.
नगर निगम की गाड़ी हो चुकी है जब्त
ऐसा नहीं है कि गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नहीं होने से सिर्फ परिवहन विभाग को ही नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसकी वजह से बिहारशरीफ नगर निगम को भी नुकसान उठाना पड़ा है. कुछ महीने पहले की बात है बड़ी पहाड़ी में कूड़ा ढोने वाले ट्रैक्टर से दबकर एक बच्चे की मौत हो गई थी। जिसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था. लोगों की नाराजगी को देखते हुए लहेरी थाना पुलिस ने नगर निगम के ट्रैक्टर को ट्राली समेत जब्त कर लिया था। उस ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन नहीं था, इस कारण आज भी वो ट्रैक्टर और ट्रॉली लहेरी थाने में सड़ रही है।
डीटीओ शैलेंद्र नाथ ने की थी पहल
नालंदा लाइव ने इस बारे में जब बिहारशरीफ नगर निगम के कर्मचारियों से जाना चाहा तो नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जब डॉ. त्यागराजन के बिहारशरीफ के नगर आयुक्त थे उस वक्त तत्कालीन डीटीओ शैलेन्द्र नाथ ने वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए नगर निगम कार्यालय को पत्र भेजा था। लेकिन नगर निगम प्रशासन ने उस पत्र की अनदेखी कर दी। इसके बाद डॉ. त्यागराजन इसी जिले के डीएम बना दिए गए। फिर भी मामला आगे नहीं बढ़ा। इनके बाद कौशल कुमार और अब सौरभ जोरवाल नगर आयुक्त हैं। लेकिन किसी ने वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराने की पहल नहीं की। जिसके कारण परिवहन विभाग को राजस्व का नुक़सान उठाना पड़ रहा है।
कार्रवाई से क्यों डरते हैं डीटीओ
नालंदा लाइव ने जब इस बारे में बिहारशरीफ के वार्ड पार्षदों से बात की तो उनलोगों ने चौंकाने वाला खुलासा किया. उनका कहना था कि जिला परिवहन पदाधिकारी बीपीएससी से चयनित होता है. जबकि बिहारशरीफ नगर निगम के नगर आयुक्त आइएएस अधिकारी हैं. ऐसे में कोई डीटीओ कड़ाई करने से कतराता है। क्योंकि डीटीओ को डर सताता है कि कहीं उनकी इस कार्रवाई का उल्टा दांव न पड़ जाए
लेकिन सवाल ये उठता है कि बिना रजिस्ट्रेशन वाली गाड़ी किसी प्राइवेट रहने पर परिवहन विभाग उसे जब्त कर लेता है. बिना हेलमेट के गाड़ी चलाने पर जुर्माना लगाया जाता है . लेकिन नगर निगम की गाड़ियां सालों से बिना नंबर या रजिस्ट्रेशन का चल रहा है इसपर किसी का ध्यान नहीं है . ऐसे नालंदा लाइव जिला परिवहन पदाधिकारी से कहता है कि हिम्मत दिखाइए और कार्रवाई कीजिए. क्योंकि संविधान ने आपको भी ताकत दिया है . यहां बता दें कि दरभंगा के जिला परिवहन पदाधिकारी राजीव कुमार ने इसी लालफीताशाही से परेशान होकर नौकरी से इस्तीफा दे दिया लेकिन कर्तव्यों के पालन करने में झुका नहीं ।