औरंगाबाद लोकसभा सीट पर इस मुकाबला काफी दिलचस्प है। बिहार के राजपूताना के नाम से मशहूर औरंगाबाद लोकसभा सीट पर इस बार किसका कब्जा होगा ? क्या बीजेपी के सुशील कुमार सिंह जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे या हम के उपेंद्र प्रसाद अपना दम दिखाएंगे। चुनाव मैदान में कुल 9 प्रत्याशी हैं । लेकिन मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है।
क्या कहता है जातीय समीकरण
औरंगाबाद सीट पर जातीय समीकरण के हिसाब से राजपूतों की आबादी सबसे ज्यादा है। करीब 17.5 फीसदी यानि दो लाख से थोड़ा ज्यादा राजपूत वोटर हैं। जबकि दूसरे नंबर पर यादव वोटरों की संख्या है । करीब 10% फीसदी यानि डेढ़ लाख यादव मतदाता है । वहीं मुस्लिम मतदाता करीब 8.5 फीसदी है यानि 1 लाख 25 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। इतनी ही आबादी कुशवाहा वोटरों की है। यानि सवा लाख के आसपास कुशवाहा वोटर हैं । भूमिहार और ब्राह्मण मिलाकर वोटरों की संख्या 8 प्रतिशत यानि भूमिहार एक लाख है। वहीं, एससी और महादलित वोटरों की संख्या 19 प्रतिशत है यानि 2 लाख 75 हजार है.
राजपूत वोटरों की दबदबा वाली औरंगाबाग सीट को बिहार का चित्तौड़गढ़ भी कहा जाता है. यहां सिर्फ राजपूत प्रत्याशियों को ही जीत मिली है. 1952 से 2014 तक हर बार राजपूत नेता ही जीते हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह का क्षेत्र है औरंगाबाद. वह 1952 से 1984 के बीच सात बार जीते थे. 1999 से 1996 तक जनता दल का कब्जा रहा. 1998 में समता पार्टी से सुशील कुमार सिंह चुनाव जीते थे. 2004 में कांग्रेस से निखिल कुमार ने चुनाव जीता था. सुशील कुमार सिंह 2009 में जेडीयू और 2014 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीते थे. औरंगाबाद लोकसभा में विधानसभा की 6 सीटें हैं. इनमें तीन पर महागठबंधन और तीन पर एनडीए का कब्जा है.
मैदान में उतरे प्रत्याशी
1. सांसद सुशील कुमार सिंह, भाजपा,
2. उपेन्द्र प्रसाद, हम, महागठबंधन
3. नरेश यादव, बसपा
4. सोमप्रकाश सिंह, स्वराज पार्टी (लोकतांत्रिक)
5. डा. धर्मेन्द्र कुमार, अखिल हिन्द फारवर्ड ब्लॉक (क्रांतिकारी)
6. संतोष कुमार सिन्हा, निर्दलीय
7. धीरेन्द्र कुमार सिंह, निर्दलीय
8. अविनाश कुमार, पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक)
9. योगेन्द्र राम, निर्दलीय
सुशील कुमार सिंह का सियासी सफरनामा
सुशील कुमार सिंह 1998 में पहली बार औरंगाबाद से चुनाव लड़े थे. समता पार्टी की टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते थे. ट्रांसपोर्ट और टूरिज्म कमेटी के सदस्य बनाए गए. 2000 से 2005 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे. 2009 में औरंगाबाद से फिर सांसद चुने गए. इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कमेटी के सदस्य भी बने. 2014 में फिर लोकसभा चीनाव जीते. 2019 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
उपेंद्र प्रसाद का सियासी सफरनामा
उपेंद्र प्रसाद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. हम की टिकट पर औरंगाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं. जेडीयू के कोटे से उन्हें एमएलसी बनाया गया था. हाल ही में वो जेडीयू छोड़कर हम में शामिल हुए.
मुख्यमंत्री, राज्यपाल भी बने हैं इस क्षेत्र के दिग्गज
छोटे साहब के नाम से प्रसिद्ध सत्येन्द्र नारायण सिन्हा छह बार चुनाव जीतकर और एक बार 1950 में बनी प्रोविजनल पार्लियामेंट के लिए चुने गए थे। वे बिहार के मुख्यमंत्री भी बने। इन्हीं के पुत्र निखिल कुमार भी यहां से सांसद रहे हैं, जो केरल और नागालैंड के राज्यपाल भी बने।
देश-विदेश में फैली है देव सूर्य मंदिर की महिमा
औरंगाबाद क्षेत्र प्राचीन मगध जनपद का महत्वपूर्ण हिस्सा था। इतिहासकारों का भी मानना है कि इस इलाके के लोग प्रगतिशील सोच के रहे हैं। यहां के देव सूर्य मंदिर की महिमा देश-विदेश में फैली हुई है। कार्तिक और चैत्र महीने में यहां 10-15 लाख लोग छठ करने आते हैं।
कब कौन जीते
2014
जीते- सुशील सिंह, भाजपा, 307941
हारे- निखिल कुमार, कांग्रेस, 241594
2009
सुशील कुमार सिंह, जदयू, 260153
सकील अहमद खां, राजद, 188095
2004
निखिल कुमार, कांग्रेस, 290009
सुशील कुमार सिंह, जदयू, 282549