नालंदा जिला में एक और दारोगा पर कार्रवाई हुई है . नालंदा के एसपी निलेश कुमार ने दारोगा तेजप्रताप राय को सस्पेंड कर दिया है ।
नगरनौसा कांड में हुई कार्रवाई
नगरनौसा थाना के दारोगा तेजप्रताप राय पर जदयू नेता गणेश रविदास मौत मामले में कार्रवाई हुई है । बताया जा रहा है कि तेजनारायण राय उसी अपहरण मामले के आईओ थे . जिस मामले में जदयू नेता गणेश रविदास को पूछताछ के लिए पुलिस ने हिरासत में लिया था. जहां उनकी मौत हो गई थी .
दोषी पाए जाने पर कार्रवाई
नालंदा के एसपी निलेश कुमार के मुताबिक दारोगा तेजप्रताप राय को सस्पेंड किया गया है। साथ ही जांच में दोषी पाए जाने पर आगे की कार्रवाई होगी।
5 सदस्यीय टीम कर रही है जांच
गणेश रविदास मौत मामले की जांच के लिए पुलिस मुख्यालय के आदेश पर जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है । जिसमें सिविल सर्जन परमानंद चौधरी, एडीएम मोहम्मद नौशाद अहम, हिलसा एसडीओ वैभव चौधरी, समाज कल्याण पदाधिकारी सुशील कुमार सिन्हा और उद्योग केंद्र महाप्रबंधक सत्येंद्र चौधरी शामिल हैं. ये टीम सैदपुरा जाकर गांव वालों से पूछताछ भी की थी
11 जुलाई को हुई थी संदिग्ध मौत
गौरतलब है कि 11 जुलाई को नालंदा के नगरनौसा थाना के शौचालय में प्रखंड जदयू महादलित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष गणेश रविदास का शव फांसी के फंदे में लटकता हुआ पाया गया था. मामला सामने आने के बाद से ही पुलिस की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है.
मानवाधिकार आयोग ने मंगवाई रिपोर्ट
बता दें कि इसी सिलसिले में सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बिहार के डीजीपी गुप्तेशवर पांडेय को नोटिस भेज कर 6 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. एनएचआरसी ने गुप्तेश्वर पांडेय को रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.
थानाध्यक्ष समेत तीन पुलिसकर्मी गिरफ्तार, एक फरार
इससे पहले 12 जुलाई को नालंदा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए नगरनौसा थानाध्यक्ष कमलेश कुमार, दारोगा बालेन्द्र राय और चौकीदार संजय पासवान को निलंबित कर गिरफ्तार कर दिया था. जबकि एक अन्य चौकीदार जितेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया गया, लेकिन वह फरार हो गया.
पुलिस ने मामले पर साधी चुप्पी
दरअसल, नालंदा के नगरनौसा थाने की पुलिस ने सैदपुर गांव के नरेश साव ने 11 जून को स्थानीय थाना में अपनी पुत्री के अपहरण का मामला दर्ज कराया था. इसी मामले में सैदपुर के ही निवासी गणेश रविदास को पूछताछ के लिए थाने में बुलाया था, जहां उसने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.इस केस में पुलिस की भूमिका पर सवाल इसलिए उठाए जा रहे हैं कि गणेश इस मामले में अभियुक्त नहीं थे. ऐसे में उन्हें हाजत में भी नहीं रखा गया था. जाहिर है ये मामला इसलिए संदिग्ध दिखता है. जबकि इसी मामले में गांव की ही मंजू देवी की पहले गिरफ्तारी हो चुकी थी