लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई को आएंगे. लेकिन उससे पहले अलग-अलग चैनलों का Exit Poll आ गया है. जिसमें मोदी सरकार को प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है. अब ऐसे में विरोध Exit Poll पर सवाल उठाने लगे हैं. विरोधियों का कहना है कि नतीजे आने के बाद Exit Poll झूठा साबित होगा. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) ने एग्जिट पोल के बयान के बाद इसकी विश्वनीयता पर और सवाल उठने लगे हैं. उन्होंने कहा कि एक्जिट पोल वास्तविक परिणाम नहीं होते. हमें यह समझना चाहिए. 1999 से अधिकतर एक्जिट पोल गलत हुए. ऐसे में ये जानना और जरूरी हो जाता है कि भारत में एग्जिट पोल कब कब सच साबित हुआ और कब कब गलत
कब शुरू हुआ ओपिनियन पोल और Exit Poll?
वैसे तो दुनिया में ओपिनियन पोल का चलन साल 1940 में शुरू हुआ था, लेकिन भारत में इसकी शुरुआत 1960 में हुई थी. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (CSDS) ने इसकी शुरुआत की थी. जबकि इसे 1980 में जमीनी स्तर पर उतारने की कोशिश की गई थी. उस वक्त के पत्रकार प्रणव रॉय ने मतदाताओं की नब्ज को टटोलने के लिए एक सर्वे किया था. इसी को देश में एग्जिट पोल की शुरुआत कहा जाता है.
साल 1996 में सच साबित हुआ था Exit Poll
साल 1996 में लोकसभा चुनाव हुए थे. जिसमें सीएसडीएस के एग्जिट पोल ने खंडित जनादेश के संकेत दिए थे. जब चुनाव के परिणाम आए तो ये एकदम सटीक पाए गए. ये वही चुनाव था जिसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. हालांकि उस दौरान वे बहुमत से दूर थी. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने सरकार बनाई थी, लेकिन उनकी सरकार 13 दिन में ही गिर गई थी. इसके बाद एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल ने मिलकर यूपीए की सरकार बनाई थी.
1998 के एग्जिट पोल
साल 1990 के दशक में टीवी का चलन बढ़ने लगा था. उस दौरान एग्जिट पोल भी लोकप्रिय होने लगा था. 1998 के लोकसभा चुनाव में लगभग हर न्यूज चैनल ने एग्जिट पोल किए थे. उस समय के चुनाव में देश के चार सबसे बड़े चुनावी सर्वे ने एनडीए सरकार को सबसे बड़ी पार्टी बताया था. फिर भी एनडीए को बहुमत से दूर दिखाया गया था. उस समय के एग्जिट पोल में एनडीए को 214-249 के बीच सीटें और यूपीए को 145-164 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था. इस चुनाव में एनडीए 252 और कांग्रेस ने 166 सीटें जीती थी. यानि एग्जिट पोल सही साबित हुआ था
1999 के एग्जिट पोल
जब 1999 में लोकसभा चुनाव हुए तो लगभग सभी बड़े सर्वे में एनडीए को 300 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था. नतीजों में एनडीए ने 296 सीटें हासिल हुई थी. जबकि यूपीए 134 सीटों पर सिमट गई थी. उस दौरान एग्जिट पोल्स में यूपीए और एनडीए के सीटों का अनुमान तो सटीक रहा, लेकिन तीसरे पार्टी के मामले में एग्जिट पोल्स फेल हो गए. उस समय तीसरे नंबर की पार्टी को 34-95 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन तीसरे नंबर की पार्टी को 113 सीटें मिली थी.
कब फेल हुए एग्जिट पोल्स
Exit Poll के हिसाब से 2004 का चुनाव सबसे ज्यादा निराश करने वाला था. इस चुनाव में सभी Exit Poll धराशाही हो गए थे. सभी Exit Poll में एनडीए को बहुमत मिलने का अनुमान लगाया था. लेकिन जब रिजल्ट आया जो एनडीए 200 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई. 1999 में कारगिल युद्ध जीतने के बाद भी एनडीए को केवल 189 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. इस चुनाव में यूपीए को 222 सीटें मिली थी और उसने सपा और बसपा के समर्थन से सरकार बना ली थी.
2009 के चुनाव में भी Exit Poll फेल हुआ
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी Exit Poll के अनुमान फेल साबित हुए थे. इस चुनाव में यूपीए और एनडीए के बीच कड़ी टक्कर बताया गया था. अनुमान था कि यूपीए को 199 और एनडीए को 197 सीटें मिलेंगी. लेकिन रिजल्ट इसके एकदम उलट रहा. यूपीए जबरदस्त बढ़त के साथ जादुई आंकड़े से महज कुछ सीटें ही दूर थी. यूपीए ने 262 सीटों पर जीत हासिल की थी. एनडीए को 159 सीटें मिली थी.
साल 2014 लोकसभा चुनाव
साल 2014 में एनडीए ‘मोदी लहर’ पर सवार होकर 336 सीटों के साथ सत्ता में आई थी. लेकिन तब एग्जिट पोल में सिर्फ टुडेज चाणक्य ने एनडीए का आकड़ा 300 के पार जाने का अनुमान लगाया था. इसको छोड़कर बाकी सबका अनुमान गलत साबित हो गया था. चाणक्य ने एनडीए को 340 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था और बीजेपी को 291 सीटें. जबकि बीजेपी 282 सीटें जीती थी.
इन-इन विधानसभा चुनावों में फेल हुए एग्जिट पोल
2007 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स में किसी ने भी नहीं कहा था कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी, लेकिन नतीजों ने सबको चौंका दिया था. इस चुनाव में 16 साल बाद किसी पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. 403 विधानसभा सीटों वाले यूपी में बहुमत के लिए 202 सीटें चाहिए होती हैं. इस चुनाव में बीएसपी अपने दम पर 206 सीटें लेकर आई थी.
2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव
2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों ने तो पूरे देश की ही चौंका दिया था. इस चुनाव के एग्जिट पोल में किसी ने भी अनुमान नहीं लगाया था कि साल 2012 में अस्तित्व में आने वाली आम आदमी पार्टी तीन साल बाद 2015 में राजधानी दिल्ली में एक तिहाई से भी ज्यादा सीटों के साथ सरकार बनाएगी. 70 विधानसभा सीटों वाले विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटें अपने नाम की थी. जबकि बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें मिली थीं. वहीं 15 साल से लगातार सत्ता में रही कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई थी.
2015 बिहार विधानसभा चुनाव
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के का रिजल्ट तो आपलोगों को याद होगा ही. जेडीयू और आरजेडी के गठबंधन से सबको चौंका दिया था. किसी ने भी अनुमान नहीं लगाया था कि इस चुनाव में जेडीयू और आरजेडी मिलकर सरकार बनाएंगी. इस चुनाव में विधानसभा की 243 सीटों में से जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन ने 178 सीटों पर जीत मिली थी. चुनाव में आरजेडी को 80, जेडीयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं. वहीं, बीजेपी गठबंधन को सिर्फ 58 सीटें हीं मिली थी.
2016 तमिलनाडु विधानसभा चुनाव
साल 2016 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सभी एग्जिट पोल्स में कहा गया था कि इस बार सत्ता विरोधी लहर होने के कारण जयललिता की पार्टी AIADMK सत्ता में नहीं आएगी. इन एग्जिट पोल्स में डीएमके और कांग्रेस गठबंधन की जीत की भविष्यवाणी की गई थी. लेकिन नतीजों ने सबको चौंका दिया. इस चुनाव में 234 विधानसभा सीटों में से AIADMK ने 114 सीटें लाकर एक बार फिर सरकार बनाई. तब DMK ने 88 और कांग्रेस ने सिर्फ 8 सीटें जीती थीं, जबकि एक सीट अन्य के खाते में गई थी.
क्या कहते हैं सेफैलॉजिस्ट
Exit Poll को लेकर चुनाव विश्लेषक यानि सैफोलॉजिस्ट योगेंद्र यादव का कहना है कि पोल वास्तविक आंकड़े बताने में असमर्थ होते हैं लेकिन नतीजों की दिशा जरूर बता देते हैं। जैसे इस बार अधिकतर एग्जिट पोल में एनडीए को बहुमत मिलता दिखाया गया है, इससे एक बात तो तय है कि मोदी सरकार दोबारा बनने जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक एक ही बार (2004 में) ऐसा हुआ है कि एग्जिट पोल पूरी तरह से गलत साबित हुए हों। जो रूझान दिखाया जाता है, नतीजे उसी दिशा में आते हैं।