आज सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण (Longest total lunar eclipse) लग रहा है। कहा जा रहा है कि अगले सात पुश्तों तक ऐसा चंद्रग्रहण नहीं लगेगा। यानि आपके सात पुश्त भी ऐसा चंद्रग्रहण नहीं देख पाएंगे। आम तौर पर चंद्रग्रहण एक या डेढ़ घंटे के लिए लगता है। लेकिन आज चार घंटे से ज्यादा वक्त के लिए चंद्र ग्रहण लगेगा। इसकी शुरुआत रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगी और 3 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इस बार चंद्रमा खूनी लाल यानि ब्लड मून(Blood Moon) की तरह दिखेगा और धीरे धीरे पूरा गायब हो जाएगा ।
सूतक का समय
इस बार नौ घंटे का सूतक लग रहा है। यानि सूतक काल दोपहर दो बजकर 54 मिनट पर लग जाएगा। इसके बाद शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
ग्रहण के दौरान क्या करें क्या ना करें
ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए
सूतक एवं ग्रहण काल में झूठ, कपट, डिंग हाँकना आदि कुविचारों से परहेज करना चाहिए।
ग्रहण काल में मन तथा बुद्धि पर पड़ने वाले कुप्रभाव से बचने के लिए जप, ध्यानादि करना चाहिए।
ग्रहण काल में व्यक्ति को मूर्ति स्पर्श, नाख़ून काटना, बाल काटना अथवा कटवाना नहीं चाहिए।
ग्रहण काल में शरीर, मन तथा बुद्धि में सामंजस्य बनाये रखना चाहिए
ग्रहणकाल में मन, वचन तथा कर्म से सावधान रहना चाहिए।
ग्रहण काल के दौरान ओम नम: शिवाय का जाप करना चाहिए
चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है
ग्रहण के वक्त खुले आकाश में ना निकलें, खासकर प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्ग, रोगी और बच्चे
गर्भवती महिलाएं क्या ना करें
ग्रहण काल और उससे पहले सूतक के दौरान गर्भवती स्त्रियों को कई तरह के काम नहीं करने चाहिए. जैसे इस समय में कुछ चाकू से काटना नहीं चाहिए. इसके अलावा सिलाई, बुनाई का काम नहीं करना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण का असर हर राशि पर पड़ता है. पर गर्भवती स्त्री और बच्चे के लिए चंद्र ग्रहण का प्रभाव 108 दिनों तक रहता है. गर्भवती महिला को ग्रहण काल में बिना देव मूर्ति स्पर्श किए जप करना चाहिए. ये भी बताया गया है कि गर्भवती स्त्री को ग्रहण के समय अपनी सुरक्षा करनी चाहिए. घर की दहलीज पार नहीं करनी चाहिए.
जाने ! किस राशि के लिए शुभ वा अशुभ होगा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस राशि में ग्रहण घटित होता है उस राशि वाले जातक पर ग्रहण का कुप्रभाव अवश्य ही पड़ता है। यह चंद्र ग्रहण उत्तर आषाढ़ और श्रवण मास में मकर राशि में घटित हो रहा है, इस कारण मकर राशि वाले जातको को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है। ग्रहण के कुप्रभाव से बचने के लिए उन्हें पूजा-अर्चना, मंत्र का जाप , भजन कीर्तन इत्यादि करना चाहिए। यह ग्रहण तुला, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए यह शुभ होगा तो वहीं यह ग्रहण मिथुन, मेष, वृष, कर्क, सिंह, कन्या, धनु, कुंभ राशि वालों के लिए भी दुखदायी हो सकता है।
चंद्र ग्रहण क्यों होता है?
चंद्रमा का पृथ्वी की ओट में आ जाना. उस स्थिति में सूर्य एक तरफ, चंद्रमा दूसरी तरफ और पृथ्वी बीच में होती है. जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है.
चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है
चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना. यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है. जबकि सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार के मुकाबले लगभग 4 गुना कम है. इसकी छाया पृथ्वी पर छोटी आकार की पड़ती है इसीलिए पूर्णता की स्थिति में सूर्य ग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है. लेकिन चंद्र ग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चंद्रमा के मुकाबले काफी बड़ी होती है. लिहाजा इससे गुजरने में चंद्रमा को ज्यादा वक्त लगता है.