नागरिकता कानून में संशोधन के बाद अब केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने जा रही है । केंद्र सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए रोडमैप का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी है । इस मसौदे में बेहतर स्वास्थ्य के लिए सामाजिक निर्धारकों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में मानते हुए, अंतर-विभागीय अभिसरण को बढ़ावा देना और बहुपक्षीय भागीदारी और एकीकरण सुनिश्चित करना इसकी प्राथमिकताओं में शामिल होगा।
नीति आयोग शुक्रवार को इस मसले पर एक परामर्शी बैठक आयोजित करेगी जिसका शीर्षक ‘जनसंख्या नियंत्रण की दृष्टि को साकार करना: किसी को पीछे छोड़े बिना’ होगा। इस बैठक का आयोजन जनसंख्या फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ वरिष्ठ अधिकारियों, विशेषज्ञों और विषय विशेषज्ञों के साथ मिलकर किया जा रहा है।
इस बैठक का उद्देश्य भारत की जनसंख्या नीति और परिवार नियोजन कार्यक्रमों को मजबूत करने के तरीकों और साधनों पर चर्चा करना है। नीति आयोग ने गुरुवार को एक बयान में कहा, इस बैठक के बाद मिले परामर्श से प्राप्त सिफारिशें भारत के जनसंख्या नियंत्रण को प्राप्त करने में मदद करने के लिए नीति आयोग को दी जाएंगी, जिसका वह मसौदे का तैयार करने में प्रयोग करेगी।
नीति आयोग ने कहा कि एक अरब 37 करोड़ की जनसंख्य के साथ, भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। आयोग ने कहा कि हम एक ऐसी स्थिति में है, जहां जन्म दर गिर रही है, लेकिन जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि इसके पीछे का कारण है कि भारत की 30 प्रतिशत जनसंख्या युवा है।
नीति आयोग ने अपने बयान में कहा कि वर्तमान में लगभग 30 करोड़ विवाहित महिलाओं में जो 15-49 वर्ष के आयु वर्ग हैं, जो परिवार नियोजन की जानकारी से काफी हद तक दूर है। जिसकी वजह से उन्हें एजेंसियों से मिलने वाली गर्भानिरोधक गोलियों की जानकारी नहीं होती है जिस कारण वह गर्भावस्था में देरी नहीं कर पाती है।
आयोग ने कहा कि परिवार नियोजन को सार्वभौमिक रूप से सबसे अच्छा विकास निवेश माना जाता है। भारत को अपने सतत विकास लक्ष्यों और आर्थिक आकांक्षाओं को साकार करने के लिए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि लोगों ने गर्भनिरोधक और गुणवत्तापूर्ण पारिवारिक सेवाओं तक पहुंच की जानकारी दी जाए।