खतरे में बिहारशरीफ के उपमहापौर की कुर्सी, खुल गई पोल

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बिहारशरीफ नगर निगम के उप महापौर यानि उप मेयर की कुर्सी खतरे में आ गई है. उनके खिलाफ 28 वार्ड पार्षदों ने मोर्चा खोलते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाया है. वार्ड पार्षदों ने महापौर के अलावा नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग, डीएम और नगर आयुक्त को पत्र सौंपा है। जिसमें उप मेयर और उनके पति पर गंभीर आरोप लगाये हैं। साथ ही ये भी बताएंगे कि असली खेल क्या है

उपमहापौर पर क्या क्या लगे आरोप
उप मेयर पर नियम के विरुद्ध काम करने का आरोप है. उप मेयर फुल कुमारी पर अपने पति पूर्व उप मेयर के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। साथ ही ये कहा गया कि उप महापौर के पति अनावश्यक रूप से नगर निगम के कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं और विकास कार्यों में व्यवधान डालते हैं। साथ ही उप महापौर की मंशा हमेशा व्यक्तिगत हित साधने की रहती है। इसके अलावा उपमहापौर पर नगर निगम को राजनीति का अखाड़ा बनाने का आरोप लगा है

उप महापौर की सफाई
उप महापौर फुल कुमारी ने विरोधी वार्ड पार्षदों के आरोप को सिरे से नकारते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा नियमों के दायरे में काम किया है। उन्होंने कहा कि उनके पति पर दखलंदाजी का लगाया जा रहा आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। हमारे पति दो बार पार्षद और एक बार उप मेयर रह चुके हैं। जिनके अनुभव का उन्हें लाभ मिलता है। निगम में योजना की स्वीकृति या सामानों का क्रय महापौर की सहमति से होती है। बिना महापौर की सहमति के एक भी काम नहीं होता। जहां तक बोर्ड या अन्य बैठक में उनके पति के शामिल होने की बात है तो पूर्व में ही उन्हें हटा देना चाहिए था। पहले सभी लोगों ने आपसी सहमति से उन्हें बैठने दी और आज मनमानी का आरोप लगा रहे हैं। सारे आरोप मनगढ़ंत हैं।

खुल गई भ्रष्टाचार की पोल
गुटबाजी और आरोप-प्रत्यारोप के खेल में भ्रष्टाचार की पोल खुल रही है। कहीं न कहीं कुछ न कुछ गड़बड़ी हुई है तभी सवाल उठ रहे हैं। मेयर पति और वार्ड पार्षद प्रमोद कुमार ने सामानों की खरीद बिक्री में घोटाले का आरोप लगाया है. मेयर पति का आरोप का कहना कि कीमत से कई गुणा अधिक पर खरीदारी होती है। जिसकी जानकारी महापौर को नहीं दी जाती है। उन्होनें कहा कि 3500 से 4000 रुपए की कीमत वाले बायोमैट्रिक मशीन को 14 हजार में खरीदा गया है. इसके जवाब में उप मेयर फुल कुमारी ने पलटवार करते हुए कहा कि साल 2017-18 में डस्टबिन की खरीद हुई थी। जिसमें घोटाला हुआ है। 3500 रुपए का डस्टबीन 15 हजार रुपये की दर से 600 डस्टबिन खरीदे गए. इसपर सफाई देते हुए मेयर पति और पार्षद प्रमोद कुमार ने कहा कि तीन साल पहले जब शंकर कुमार उप मेयर हुआ करते थे तब भी 15 हजार रुपये प्रति डस्टबीन की खरीद हुई थी। इस बार जो खरीद हुई है वो उसी रेट पर हुई है। यदि इस बार गड़बड़ी हुई है तो स्वाभाविक है कि इसकी बुनियाद शंकर कुमार के समय ही रखी गयी थी।

तीन को होगी विशेष बैठक
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और नौबत आयी तो मत विभाजन के लिए महापौर वीणा कुमारी ने नगर आयुक्त से 3 जुलाई को बैठक बुलाने को कहा है।

किन-किन पार्षदों ने लाया अविश्वास प्रस्ताव
रमेश कुमार उर्फ नीरज, नेहा शर्मा, रंजय कुमार वर्मा, अमरनाथ कुमार, प्रमोद कुमार, नारायण यादव, राजमेहरा प्रसाद, रजनी रानी, प्रदुमन कुमार, उषा देवी, मो. अमानुल्लाह, सविता देवी, नीलम गुप्ता, मो. वकील खां, अमीर खुसरो, मो. जमील अख्तर, अशरफ अली खां, मेहरूंण निशा, शाहदा खातून, रोखसाना खातून, गजाला प्रवीण, शर्मिली प्रवीण, गुलशन आरा, नुजहत रहमान, शमा खानम, रीना महतो, नीरज कुमार, आरती देवी सहित 28 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं।

क्या है गणित
नगर निगम में कुल 46 वार्ड पार्षद हैं। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 16 सदस्यों का हस्ताक्षर जरूरी था। जिसके लिए कई दिनों से जनसंपर्क चलाया जा रहा था। प्रस्ताव पर कुल 28 सदस्यों का हस्ताक्षर है। जबकि पार्षदों की कुल संख्या के अनुसार कुर्सी गिराने के लिए 24 वार्ड पार्षदों का ही साथ चाहिए। यदि कोई बड़ा उलट फेर नहीं हुआ और अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले पार्षद एकजुट रहे तो उप महापौर की कुर्सी जानी तय है।

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