नालंदा के जिलाधिकारी योगेंद्र एक्शन में हैं. वे काम में लापरवाही और भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम हैं. चाहे वो अदना कर्मचारी हो या जिले के बडे़ अफसर हों. नालंदा के डीएम किसी को नहीं बख्शते हैं. वो कार्रवाई करने से कभी हिचकते नहीं. ताजा वाक्या इसका सबसे बड़ा प्रमाण है
क्यों हुई जिला कृषि पदाधिकारी पर कार्रवाई
डीएम योगेंद्र सिंह ने जिला कृषि पदाधिकारी विभु विद्यार्थी के विरुद्ध प्रपत्र क गठित करने की अनुशंसा कर दी है। जिला कृषि पदाधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यों में शिथिलता के दस आरोप लगे थे।
डीएओ पर क्या क्या आरोप हैं
पहला आरोप- 12 जून को जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक में प्रतिवेदन और पीपीटी प्रस्तुत नहीं किया।
दूसरा आरोप-डीजल अनुदान वितरण में शिथिलता बरती गई
तीसरा आरोप-कृषि फसल अवशेष जलाने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई
चौथा आरोप- साल 2018-19 की फसल का डाटा उपलब्ध नहीं कराया गया।
पांचवां आरोप-कृषि यंत्रों की खरीद में गड़बड़ी
छठा आरोप- जमीन की मृदा स्वास्थ्य कार्ड में रुचि नहीं दिखाई
सातवां आरोप- पशुगणना संबंधित कार्य में डीएओ ने रुचि नहीं ली
आठवां आरोप-प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना का सही ढंग से निष्पादन नहीं कराया
नौवां आरोप- सुखाड़ अनुदान वितरण में अनियमितता पाई गई
दसवां आरोप– लोकसभा चुनाव कार्य में भी लापरवाही
नालंदा के जिला कृषि पदाधिकारी विभू विद्यार्थी की इन्हीं लापरवाहियों ने उनकी मुश्किलें बढ़ी दी है. इन्हीं आरोपों से घिरने के कारण डीएओ को प्रपत्र क गठित करने की अनुशंसा की गई है।
डीएम ने कही कार्रवाई की बात
नालंदा के जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह का कहना है कि विभागीय कार्य में लापरवाही करने वाले एसएफसी के जिला प्रबंधक सहित सभी पदाधिकारी एवं कर्मियों से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। अगर जवाब संतोजनक नहीं रहे तो सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।