विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू और बीजेपी के लिए खतरे की घंटी?

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बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लेकिन उससे पहले पप्पू यादव की जनअधिकार पार्टी ने जेडीयू और बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है. पप्पू यादव का कहना है कि इसका असर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा. पप्पू यादव की पार्टी की जीत ने बीजेपी और जेडीयू के लिए चिंता जरूर बढ़ा दी होगी

जेडीयू की सबसे बुरी हालत
दरअसल,पटना विश्वविद्यालय (Patna University) के छात्र संघ चुनाव (Student Union Election) में पप्पू यादव (Pappu Yadav) की जन अधिकार पार्टी की छात्र इकाई जनाधिकार छात्र परिषद ने अध्यक्ष और संयुक्त सचिव के पद पर कब्जा जमाया है । जबकि उपाध्यक्ष का पद राजद के स्टूडेंड विंग के कोटे में गया है. तो वहीं, बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी को महासचिव के पद पर विजय मिला है. खास बात ये है कि इस बार बिहार में आइसा ने भी रंग दिखाया है.कोषाध्यक्ष के पद पर आइसा के उम्मीदवार की जीत हुई है . सबसे बुरी हालत नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की है . जो खाता भी नहीं खोल पाई. खास बात ये है कि पिछली बार पटना यूनिवर्सिटी के चुनाव में खुद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने छात्र संघ चुनाव में दिलचस्पी ली थी जिसके बाद जेडीयू ने अध्यक्ष पद पर कब्जा किया था. तब माना जा रहा है था कि अब जेडीयू युवाओं को अपने में जोड़ने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है. लेकिन इस बार पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में जिस तरह पार्टी का पत्ता साफ हुआ है उससे पार्टी के रणनीतिकारों की नींद जरूर उड़ा दी होगी.

कौन किस पद पर जीता और कितने वोट मिले
अध्यक्ष – मनीष कुमार ( जन अधिकार छात्र परिषद)-2815 वोट
उपाध्यक्ष- निशांत यादव ( छात्र राजद)-2910 वोट
महासचिव – प्रियंका श्रीवास्तव (ABVP)-3731 वोट
ज्वाइंट सेक्रेटरी-आमिर रज़ा (JACP)- 3143 वोट
कोषाध्यक्ष – कोमल कुमारी (AISA)-2238 वोट

जीत पर बोले पप्पू यादव
जीत के उत्साह से लबरेज पप्पू यादव ने कहा कि पीयू छात्र संघ चुनाव का ये परिणाम 2020 के विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा भी तय करेगा. यहां पर बता दें कि पप्पू यादव की पार्टी की छात्र इकाई ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि बीजेपी की छात्र इकाई सिर्फ एक सीट जीत पाई है

उपचुनाव में भी हुई थी बुरी गति
यहां पर ये भी बता दें कि अक्टूबर में ही बिहार में पांच सीटों पर उपचुनाव हुए थे. जिसमें से सिर्फ एक सीट जेडीयू बचा पाई थी. क्योंकि जिन पांच सीटों पर उपचुनाव हुए थे उनमें चार सीटों पर जेडीयू का कब्जा था. यानि जेडीयू ने उपचुनाव में अपनी सीटें गंवा बैठी थी. जबकि हासिये पर मानी जा रही है आरजेडी ने बिना लालू यादव और तेजस्वी यादव के ही दो सीटें सीटें जीत गई थी. तो वही, ओवैसी की पार्टी ने भी एक सीट जीती थी. तो वहीं, सीवान सीट पर निर्दलीय ने परचम लहराया था.

यानि पहले विधानसभा उपचुनाव में जिस तरह से जेडीयू की हार हुई है और उसके बाद पटना यूनिवर्सिटी में खाता नहीं खुलना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नींद जरूर उड़ा दी होगी.

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