
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर पटना में जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई थी. बैठक में सभी प्रदेशों के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के सभी बड़े नेता मौजूद थे. कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार तरजीह देते हैं या नहीं.
नीतीश के दाहिना हाथ हैं पीके
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को न सिर्फ अपनी बगल की सीट पर बैठाया. बल्कि नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को अपने दाहिने ओर की सीट पर बिठाकर ये संदेश देने की कोशिश की कि प्रशांत किशोर उनके लिए राइट हैंड. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सीएम नीतीश कुमार के दाहिनी तरफ प्रशांत किशोर को जगह दी गई. जबकि बाईं ओर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को बैठाया गया था. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने इसके जरिए पार्टी में संदेश देने की कोशिश की है. साथ ही ये बताने की कोशिश की गई है कि बिहार से बाहर जदयू के विस्तार के लिए प्रशांत किशोर पार्टी के लिए जरूरी हैं.
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पीके को नहीं मिला बोलने का मौका
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही प्रशांत किशोर अपने दाहिने तरफ बिठाकर ये संदेश देने की कोशिश की पार्टी में उनकी हैसियत नंबर दो की है. लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया. दरअसल, बैठक में सभी की निगाहें पीके यानि प्रशांत किशोर की तरफ थीं और सभी को भरोसा था कि पीके कुछ बोलेंगे लेकिन उनको इस अति महत्वपूर्ण बैठक में बोलने का मौका नहीं मिल सका. माना जा रहा था कि ममता बनर्जी से मुलाकात पर वो पार्टी के फोरम में सफाई देंगे. लेकिन बैठक में चार प्रदेशों के अध्यक्ष और केसी त्यागी के अलावा नीतीश कुमार ने सम्बोधित किया. प्रशांत किशोर को मौका नहीं मिला.
केसी त्यागी ने दी सफाई
जदय के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने प्रशांत किशोर को लेकर सफाई दी. उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर की कंपनी का जेडीयू से कोई रिश्ता नहीं हैं. जब आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के लिए उन्होंने काम किया था तो सवाल क्यों नहीं उठाया गया था. साथ ही ये भी कहा कि जेडीयू चाहती है कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी चुनाव हारे और ममता बनर्जी की भी हार हो.
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर की कंपनी ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव में रणनीति बनाएगी. इसे लेकर नीतीश कुमार पार्टी में दो फाड़ था. हालांकि बाद में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि उनके बिजनेस से पार्टी को कोई लेना देना नहीं है.