दागी नेताओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सांसद और विधायकों को दोषी सिद्ध होने से पहले अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में संसद तय करे कि उसे क्या करना है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीति में अपराधिकरण खत्म करन जरूरी है.
राजनीति के अपराधिकरण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए जिससे अपराधी राजनीति में न आ सकें. कोर्ट ने राजनीतिक दलों को आदेश दिया कि यदि चुनाव लड़ने वाले किसी उम्मीदवार के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज है तो वेबसाइट पर उसका जिक्र करें और उसे प्रमुखता से प्रचारित भी करें. नामांकन दर्ज होने के बाद मीडिया में इस संबंध में जानकारी दें. जनहित याचिका में मांग की गई थी कि आरोप तय होने के बाद उम्मीदवार को चुनाव लड़ने न दिया जाए. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह कानून नहीं बना सकता है. यह सरकार का काम है.
गौरतलब है कि सांसद, विधायकों पर जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत किसी आपराधिक मामले में दोषसिद्धि के बाद ही चुनाव लड़ने पर पाबंदी है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले में अब दखल देने से इंकार करते हुए इस मामले को संसद पर छोड़ दिया है. इससे पहले, पीठ ने संकेत दिये थे कि मतदाताओं को उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि जानने का अधिकार है और चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने के लिए कहा जा सकता है कि आरोपों का सामना कर रहे लोग उनके चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ें.