नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में ऑल इज वेल नहीं है। तभी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने ही उनके दो बेहद करीबी आपस में भिड़ गए। जेडीयू की मीटिंग के दौरान ही राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के बीच तू-तू मैं मैं हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी वहां मौजूद थे।
क्या है मामला
जेडीयू सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज पार्टी की बैठक बुलायी थी। बैठक में पार्टी के सभी बड़े नेता मौजूद रहे । लेकिन जैसे ही जेडीयू की मीटिंग खत्म हुई और नेता बाहर जाने लगे । वैसे ही नीतीश कुमार के सामने ललन सिंह और अशोक चौधरी भिड़ गए।
क्यों हुआ झगड़ा
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री जब जा रहे थे तब उनके साथ अशोक चौधरी भी जाने लगे। जिसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने अशोक चौधरी को वहां रुकने के लिए कहा और उनसे कुछ सवाल पूछा । जिसपर अशोक चौधरी भड़क गए ।
किस सवाल पर भड़के अशोक चौधरी
दरअसल, जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने अशोक चौधरी से उनके विधानसभा क्षेत्र के बारे में सवाल पूछा। जिससे वो भड़क उठे। ललन सिंह ने पूछा कि आप जमुई और बरबीघा बार-बार क्यों जा रहे हैं? जबकि आपको जमुई के प्रभारी मंत्री पद से हटाया जा चुका है.. फिर किस हैसियत और किससे पूछकर आप बार-बार जमुई-बरबीघा जा रहे हैं। ये बात नीतीश कुमार के करीबी मंत्री अशोक चौधरी को नागवार गुजरी।
अशोक चौधरी ने क्या दिया जवाब
ललन सिंह के सवाल पर जवाब देने में अशोक चौधरी ने भी देर नहीं लगाई। अशोक चौधरी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को दो टूक शब्दों में कह दिया कि आप इस तरह के सवाल मुझसे नहीं कर सकते हैं.. साथ ही अशोक चौधरी ने साफ शब्दों में कह दिया कि वो जमुई और बरबीघा जाते रहेंगे और इन दोनों जगहों राजनीति में वो बार-बार दखल ना दें।
ललन सिंह ने क्यों पूछा सवाल
सूत्रों का कहना है कि बरबीघा के विधायक सुदर्शन ने ललन सिंह से अशोक चौधरी की शिकायत की थी । सुदर्शन, जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के स्वजातीय हैं और अशोक चौधरी दलित समुदाय से आते हैं । बताया जा रहा है कि बरबीघा में 28 सितंबर को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया है । जिसमें मंत्री संजय झा और अशोक चौधरी जाने वाले हैं और सर्किट हाउस का शिलान्यास करेंगे । लेकिन इसकी जानकारी जेडीयू विधायक सुदर्शन को नहीं है । जिसकी शिकायत उन्होंने ललन सिंह से की थी
बरबीघा से क्या है कनेक्शन
दरअसल, बरबीघा सीट अशोक चौधरी का परंपरागत सीट रहा है। यहां से इनके पिता और खुद अशोक चौधरी विधायक बनते रहे हैं । ये इनका गृह क्षेत्र भी है । अशोक चौधरी के पिता महावीर चौधरी कांग्रेस के टिकट से 1980 से 1995 तक यहां से विधायक रहे हैं। अशोक चौधरी के राजनीतिक करियर की शुरुआत भी बरबीघा से ही हुआ है।
कांग्रेस के टिकट पर वे यहां से पहली बार चुनाव जीते थे। पहली बार विधायक बनने के बाद भी उन्हें राबड़ी सरकार में कारा राज्य मंत्री बनाया गया था । हालांकि, 2005 के बाद वे कभी बरबीघा से चुनाव नहीं लड़े, लेकिन उनका कनेक्शन वहां से बना हुआ है। यही कारण है कि आज भी बरबीघा में बड़ी संख्या में उनके समर्थक हैं।
चौधरी का जमुई से कनेक्शन
दरअसल, जमुई लोकसभा सीट सुरक्षित सीट है और अशोक चौधरी यहां से दो बार लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं । हालांकि दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा । इसके बाद नीतीश सरकार ने उन्हें जमुई का जमुई का प्रभारी मंत्री भी बनाया था । लेकिन एक अधिकारी के साथ हुई झड़प के बाद उन्हें जमुई के प्रभारी मंत्री पद से हटा दिया गया है । ऐसे में माना ये जा रहा है कि जमुई से वो अगली बार फिर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं.. इसलिए वो जनता के बीच पैठ बनाए रखना चाहते हैं ।
नीतीश के लाडले हैं दोनों
ललन सिंह और अशोक चौधरी दोनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी हैं। ललन सिंह तो कई वर्षों से उनके राजदार रहे हैं । लेकिन अशोक चौधरी 2018 में नीतीश कुमार के करीब आए.. जब उन्होंने कांग्रेस छोड़कर जेडीयू ज्वाइन कर लिया । जिसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें एमएलसी बनाकर मंत्री बना दिया। पिछले हफ्ते ही नीतीश कुमार ने मीडिया के सामने अशोक चौधरी के कंधे पर सिर रखकर कहा था कि हम दोनों में काफी प्रेम है। साथ ही उनके सिर पर हाथ रखकर एक मीडिया कर्मी के सिर से सिर टकरवाया था ।